नई दिल्ली। लॉकडाउन में थोड़ी ढील दिए जाने और इसके कारण औद्योगिक गतिविधियों में फिर से दिख रही सुगबुगाहट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार प्रवासियों को शहरों में वापस लाने के लिए योजना बनाएगी। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि इस काम को कंपनियों और प्रवासियों के स्तर पर बेहतर तरीके से कैसे अंजाम दिया जा सकता है।
इसलिए केंद्र, राज्यों और कंपनियों को काफी काम करना है। सीतारमण ने कहा कि कई कंपनियों के कामगारों ने प्रबंधन से संपर्क कर यह जानने की कोशिश की है कि क्या लॉकडाउन (Lockdown) जल्द खत्म होने वाला है और कंपनियों में कामकाज फिर से कम शुरू होने वाला है।
आर्थिक पैकेज का चौतरफा असर होगा
एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस संकट को दूर करने के लिए सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का चौतरफा असर होगा। उन्होंने साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने का मकसद भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। पिछले सप्ताह सीतारमण ने पांच दिनों में की गई घोषणाओं में 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ब्योरा दिया था। पैकेज का मकसद भारत को एक ओर आत्मनिर्भर बनाना और दूसरी ओर लोगों को कोरोनावायरस से पैदा हुई स्थितियों से मुकाबला करने में मदद करना था।
प्रधानमंत्री मित्रवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं
उन्होंने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मित्रवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं। हमारे बारे में बैंकों को निर्देश देने की कोई शिकायत नहीं आई है। बैंकों को सिर्फ यह समस्या है कि वे लोन देने से डर रहे हैं। क्योंकि इसके डूबने की आशंका है। इसके लिए हमने लोन की गारंटी दी है। हम भ्रष्टाचार या मित्रवाद को बढ़ावा नहीं देते हैं। बैंक स्थिति को समझकर फैसला लेते हैं। वे लेंगे। मैं उन्हें भरोसा दे रही हूं कि यदि उनके द्वारा दिए गए लोन डूब जाते हैं, तो उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई मित्रवाद को बढ़ावा देता है, तो बैंकों को उसे खारिज करना होगा।
प्रवासियों को लेकर प्रियंका गांधी के हमले का दिया जवाब
प्रवासी कामगारों के मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्र्रा के हमले का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां बहुत कम ट्रेनें प्रवासी मजदूरों को लेकर आईं। इससे कांग्रेस के पाखंड का पता चलता है। यदि प्रियंका गांधी को सचमुच उत्तर प्रदेश सरकार की चिंता है, तो उन्हें सोचना चाहिए कि इस राज्य में क्यों 300 ट्र्रेनें आईं, जबकि छत्तीसगढ़ में 5 से 7 ट्र्रेंनें भी नहीं आ सकीं। मैं यह नहीं कह रही कि दोनों राज्यों की आबादी बराबर है, लेकिन दोनों राज्यों में प्रवासियों की संख्या बराबर है। कांग्रेस ने बुधवार को योगी आदित्यनाथ की सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि प्रवासियों को ले जाने के लिए कांग्रेस द्वारा व्यवस्था की गई 1,000 से ज्यादा बसों को राज्य में प्रवेश नहीं करने दिया गया। इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी ने पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी बयान दिए थे।