जल्द लॉन्च हो सकती है MSME को 3 लाख करोड़ के लोन की गारंटी स्कीम

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नई दिल्ली। कोरोना आपदा से निपटने के लिए सरकार के लिए सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के लिए तीन लाख करोड़ रुपए की गारंटी स्कीम का ऐलान किया गया है। एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के मुताबिक यह स्कीम इसी सप्ताह लॉन्च हो सकती है।

बैंक अधिकारी ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि एमएसएमई को यह कोलैटरल फ्री (बिना गिरवी) लोन बैंकों की ओर से 9.25 फीसदी की आकर्षित ब्याज दर पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। मौजूदा समय में बैंक जोखिम को ध्यान में रखते हुए एमएसएमई सेक्टर को 9.5 फीसदी से लेकर 17 फीसदी तक की विभिन्न ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराते हैं। बैंक अधिकारी ने कहा कि नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (एनबीएफसी) की ओर से दिए जाने वाले लोन पर अधिकतम 14 फीसदी की ब्याज दर की कैपिंग लगाई जा सकती है।

वित्त मंत्री ने 13 मई को की थी घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए के कोरोना राहत पैकेज की 5 किस्तों में घोषणा की है। इसी के तहत 13 मई को पहली किस्त में वित्त मंत्री ने छोटे कारोबारियों को राहत देने के मकसद से आउटस्टैंडिंग क्रेडिट के 20 फीसदी के बराबर अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल भी देने की घोषणा की थी। यह अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल सस्ती ब्याज दरों पर टर्म लोन के रूप में दी जाएगी। यह लोन 25 करोड़ तक की आउटस्टैंडिंग और 100 करोड़ तक टर्नओवर वाले कारोबारियों को दिया जाएगा।

यूनिट्स को नहीं देनी गारंटी
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के इस उपाय से एमएसएमई को करीब 3 लाख करोड़ रुपए की लिक्विडिटी उपलब्ध होगी। इस पूरी राशि की गारंटी केंद्र सरकार देगी। इसके लिए एमएसएमई यूनिट्स को किसी भी प्रकार की कोई गारंटी या कुछ भी गिरवी नहीं रखना होगा। इससे करीब 45 लाख एमएसएमई लाभान्वित होंगे। यह लोन चार साल की अवधि के लिए होगा। इसमें प्रिंसीपल पुनर्भुगतान पर 12 महीने का मोराटोरियम भी मिलेगा। इस स्कीम का लाभ लेने के लिए 31 अक्टूबर 2020 तक आवेदन किया जा सकता है।

देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है एमएसएमई
एमएसएमई सेक्टर की देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इस सेक्टर का देश की जीडीपी में करीब 28 फीसदी और कुल निर्यात में करीब 40 फीसदी का योगदान है। देश में यह सेक्टर कृषि के बाद सबसे ज्यादा करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। इसके अलावा लोन डिफाल्ट वाली एमएसएमई को राहत देने के लिए 20 हजार करोड़ के सबोर्डिनेट कर्ज का ऐलान किया गया है। इससे करीब 2 लाख कारोबारी लाभान्वित होंगे। इसके अलावा एमएसएमई के लिए एक फंड्स का फंड भी बनाया जाएगा। सरकार इसमें 50000 करोड़ इक्विटी डालेगी।

बदली जाएगी एमएसएमई की परिभाषा
इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा निवेश का आकर्षित करने के लिए सरकार एमएसएमई की परिभाषा में भी बदलाव करेगी। इसके लिए सरकार एक टर्नओवर मापदंड पेश करेगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा कंपनियां राजकोषीय और अन्य लाभ लेने के लिए छोटे कारोबारी के तौर पर बनी रहेंगी। इसके अलावा सरकार ने एमएसएमई की मदद के लिए 200 करोड़ तक की सरकारी खरीद की घरेलू कारोबारियों के लिए सीमित कर दिया है। अब इसके लिए ग्लोबल टेंडर नहीं मंगाए जाएंगे।