कोटा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी उद्योगपतियों और एमएसएमई संघों के साथ शुक्रवार को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान लॉक डाउन के कारण व्यापार एवं उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर शहर के उद्यमियों ने मुख्यमंत्री से चिंता जताई।
कोटा के उद्योगों की प्रतिनिधि संस्था एसएसआई एसोसिएशन की ओर से संस्थापक अध्यक्ष गोविन्दराम मित्तल ने कई मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सभी अनुपालन की तिथियां 30 जून तक स्थगित कर दी जानी चाहिए।
- सरकार या बैंकों द्वारा सभी तरह बैंक ब्याज या निर्धारित शुल्क में 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जानी चाहिए।
- एमएसएमई की सभी ओवरड्राफ्ट सीमा को ब्याज में अतिरिक्तछूट के साथ 12 महीनों के लिए 25 प्रतिशत (अतिरिक्त कार्यशील पूंजी के रूप में) बढ़ाया जाना चाहिए।
- कंपनियों को अप्रैल के महीने के लिए वेतन का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए, बजाय सरकार को ईपीएफ और ईएसआई की unclaimed राशि के माध्यम से वेतन का 50 प्रतिशत का भुगतान करना चाहिए।
- बिजली और अन्य स्थाई शुल्क 30 जून 2020 तक स्थगित कर दिए जाएं।
- जीएसटी की देय धनराशि रु। 500 करोड़ जारी होने चाहिए।
- गरीबों को दी जाने वाली खाद्य और अन्य सब्सिडी को उचित वितरण को देखने के लिए आधार कार्ड से जोड़ा जाना चाहिए।
- नकद लेन-देन की सीमा 30 जून को 2020 तक बदल दी जानी चाहिए।
- फ्लाईएश ब्रिक निर्माता से परहेज के बजाय पारंपरिक ईंट उद्योग को लॉकडाउन के दौरान विशेष प्राथमिकता दी जाती है।
- लॉकडाउन को सामाजिक जीवन तक सीमित किया जाना चाहिए लेकिन उद्योगों को निर्धारित सुरक्षा दिशानिर्देशों के साथ कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
- न्यूनतम शेष, ईएमआई रिटर्न और अन्य बैंक / एनबीएफसी शुल्क 30 जून 2020 तक समाप्त हो जाने चाहिए।
- बैंकों और NBFC को RBI से दिए गए दिशा-निर्देशों को सही तरीके से लागू करना चाहिए, ना ही इससे बचने के उपाय खोजने चाहिये ।