जयपुर। कोटा में बच्चों की मौत के मामले के बाद डेमेज कंट्रोल में लगे चिकित्सा मंत्री ने अस्पतालों के पास 500 करोड़ रुपए होने के बावजूद खर्च नहीं करने की बात कही हो लेकिन हकीकत यह है कि अस्पतालों के पास यह पैसा है ही नहीं। मामले में जब पड़ताल की तो सामने आया कि विभाग के उच्चाधिकारियों ने मामले को संभालने के लिए चिकित्सा मंत्री को ही गलत जानकारियां दी।
दरअसल मंत्री जिन 500 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कह रहे हैं, वह तो विभिन्न कामों के लिए आने वाली सिक्योरिटी राशि है। यदि कोई अस्पताल इस राशि को खर्च करता भी है तो उसे बाद में वह रकम लौटानी पड़ेगी।
अस्पतालों पास ही नहीं पैसा
एसएमएस मेडिकल काॅलेज के राजस्थान मेडिकल रिलीफ साेसायटी के पास करीब 50 लाख रुपए है। सिक्योरिटी राशि की बात करें तो यह रकम तीन से चार करोड़ तक होती है। अस्पताल इस रकम को खर्च नहीं कर सकता। वहीं, महिला, जनाना और गणगौरी अस्पताल के आरएमआरएस के पास भी केवल डेढ़ करोड़ रुपए होना सामने आया है। इन अस्पतालों के पास सिक्योरिटी के सवा तीन करोड़ से अधिक जमा हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा रोहित सिंह और अन्य के बीच सामंजस्य नहीं है। चिकित्सा मंत्री दोनों को समझा चुके हैं।
अस्पतालों के पास केवल 90 करोड़
सभी मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पताल, जिला अस्पतालों के पास 90 करोड़ से अधिक रुपया नहीं है। यह राशि अस्पतालों को अपने पास इसलिए रखनी होती है क्योंकि कई काम तुरंत कराने पड़ते हैं। इमरजेंसी फंड यही से खर्च होता है।