रूस-भारत एशिया में विकास की नई इबारत लिखेंगे: प्रधानमंत्री मोदी

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    व्लादिवस्तोक। रूस यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में भारत और रूस को अहम सहयोगी बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच 50 से ज्यादा समझौते हुए हैं। पीएम मोदी ने रूस के साथ भारत के मजबूत संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश आपसी सहयोग के माध्यम से एशिया पसिफिक क्षेत्र में विकास की नई इबारत लिखेंगे।

    मोदी ने इस दौरान खासतौर पर रूसी राष्ट्रपति के साथ अपनी केमिस्ट्री का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस दौरे के दौरान रात 1 बजे तक दोनों के बीच बातचीत होती रही। ‘दस्विदानिया’ और गुजराती के ‘आवजो’ के जरिए मोदी ने रूस और भारत की साझा संस्कृति का जिक्र किया

    रूस और भारत की साझा विरासत का पीएम ने किया जिक्र
    पीएम मोदी ने रूस और भारत की साझा विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे ईईएफ में शामिल होने के लिए मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से लोकसभा चुनावों से भी पहले मिल गया था। भारत की 120 करोड़ जनता ने जो भरोसा मुझ पर दिखाया वही भरोसा मेरे मित्र पुतिन ने भी दिखाया, मैं उन्हें भी धन्यवाद देता हूं। रूस और भारत की साझा विरासत है और हम भविष्य में इसे साथ लेकर जाएंगे।’

    सुदूर पूर्व के विकास से जुड़ा एशिया का विकास’
    पीएम मोदी ने फार ईस्ट विजन की सफलता पर जोर देते हुए कहा, ‘व्लादिवस्तोक यूरेशिया और पैसिफिक का संगम है। यह आर्कटिक और नॉर्दन सी रूट के लिए नए अवसर खोलता है। रूस का करीब तीन चौथाई भाग एशियाई है। फार ईस्ट इस महान देश की एशियन पहचान को मजबूत करता है। इस क्षेत्र का आकार भारत से करीब दो गुना है। जिसकी आबादी सिर्फ 6 मिलियन है। भारत और रूस इस क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे और यह वैश्विक समृद्धि के नए द्वार खोलेगा।’

    पीएम ने कहा, फार ईस्ट का विजन भारत के लिए भी अवसर
    प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति के सुदूर पूर्व विजन की सराहना करते हुए कहा, ‘ रष्ट्रपति पुतिन का सुदूर पूर्व के प्रति लगाव और विजन केवल इस क्षेत्र के लिए ही नहीं, अपितु भारत जैसे रूस के पार्टनर्स के लिए अभूतपूर्व अवसर लेकर आया है। भारत और फार ईस्ट का रिश्ता नया नहीं बल्कि बहुत पुराना है।

    भारत वह पहला देश था जिसने व्लादिवोस्तोक में काउंसलेट खोला। तब भी और उससे भी पहले भारत और रूस की दोस्ती में बहुत भरोसा था। सोवियत रूस के समय में व्लादिवोस्तोक आने पर विदेशियों पर पाबंदी थी, लेकिन यह भारतीय नागरिकों कि लिए खुला था। व्लादिवोस्तोक के जरिए बहुत सा साजो-सामान भारत पहुंचता है। अब इस भागीदारी की जड़ें और गहरी हुई हैं। ‘

    अंतरिक्ष और समुद्र में भारत और रूस की समृद्धि का जिक्र किया
    भारत और रूस के बीच बुधवार को कल कई क्षेत्रों में करार हुआ। रक्षा, समुद्री क्षेत्र, तकनीक और अंतरिक्ष विज्ञान में हुए करार का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, ‘रूस और भारत के साथ आगे बढ़ने की साझा विरासत रही है। अब हम सहयोग के क्षेत्रों को नए आयाम दे रहे हैं।

    भारत और रूस मिलकर अंतरिक्ष में नई सिद्धि प्राप्त करने के लिए काम करेंगे। समुद्री क्षेत्र में भी हम सहयोग से आगे बढ़ रहे हैं और समुद्र से भी अपने लिए समृद्धि निकाल लाएंगे।’ बता दें कि भारत के मिशन गगनयान के लिए वैज्ञानिक रूस के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों से ट्रेनिंग लेंगे।

    रूस में पीएम ने बात की भारतीय मूल्यों की
    पीएम मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों के साथ भारतीय मूल्यों के संबंध का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘भारत की प्राचीन सभ्यता के मूल्यों ने हमें सिखाया है कि प्रकृति से उतना ही लें, जितने की जरूरत है। हम प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन पर विश्वास करते हैं।

    प्रकृति के साथ यही तालमेल सदियों से हमारे अस्तित्व और विकास का अहम हिस्सा रहा है। मैंने और राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस सहयोग के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं। हमारे संबंधों में हमने नए आयाम जोड़े हैं, उनको विविधता दी है। संबंधों को सरकारी दायरे से बाहर लाकर प्राइवेट इंडस्ट्री के बीच ठोस सहयोग तक पहुंचाया है।’

    गुजराती और रूसी भाषा में बोल PM ने जीता दिल
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजराती और रूसी भाषा में अलविदा बोलकर भी सभा में मौजूद लोगों का दिल जीता। पीएम ने भारत और रूस की समान संस्कृति का जिक्र करते हुए कहा कि गुजराती में अलविदा नहीं, जल्दी मिलेंगे के लिए आवजो कहते हैं। इसी तरह रूस में अलविदा नहीं दसविदानिया कहते हैं। पीएम ने इसके साथ ही समिट में आए सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत आने का न्योता भी दिया।