नई दिल्ली। जीएसटी परिषद ने आगामी बजट सत्र के दौरान सीजीएसटी अधिनियम में संशोधन किए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इन संशोधनों में सफारी रिट्रीट्स मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए पिछली तारीख से संशोधन के अलावा कर चोरी की आशंका वाली वस्तुओं पर नजर रखने के लिए सरकार को सशक्त बनाने वाले प्रावधान आदि शामिल हैं।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कानून में संशोधन होने के बाद ये प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। इनमें से कई संशोधनों को 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी तौर पर लागू करने का प्रस्ताव है। जीएसटी परिषद ने शनिवार को जैसलमेर में आयोजित अपनी 55वीं बैठक में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 17(5)(डी) में संशोधन करने की सिफारिश की ताकि ‘प्लांट ऑर (या) मशीनरी’ को बदलकर ‘प्लांट ऐंड मशीनरी’ करते हुए प्रावधान को स्पष्ट किया जा सके। यह संशोधन पिछली तारीख यानी 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी तौर पर लागू होगा।
जीएसटी कानून में इस संशोधन के प्रभावी होने से सर्वोच्च न्यायालय का वह फैसला पलट जाएगा जिसके तहत कहा गया था कि अगर मकान का इस्तेमाल किराये के लिए किया जाता है तो रियल्टर अपनी निर्माण लागत पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ ले सकता है।
रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक रस्तोगी ने कहा, ‘जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के संबंध में प्रस्तावित पिछली तारीख से संशोधन को संवैधानिक वैधता की कसौटी पर खरा उतरना पड़ेगा क्योंकि यह संशोधन केवल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए है।’ रस्तोगी चैंबर्स ने सर्वोच्च न्यायालय में करीब एक दर्जन याचिओं की ओर से दलीलें दी थीं।
परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में एक नया प्रावधान शामिल करते हुए जीएसटी ढांचे में अनुपालन बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। प्रस्तावित धारा 148ए सरकार को तंबाकू, मादक पेय जैसी वस्तुओं पर नजर रखने के लिए सशक्त करेगी।
इन वस्तुओं में कर चोरी की अधिक आशंका होती है। इसके तहत एक विशिष्ट पहचान चिह्न का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करते हुए पूरी आपूर्ति श्रृंखला में वस्तुओं पर नजर रखने की क्षमता को बेहतर किया जाएगा ताकि बेहतर पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 107 और 112 में भी संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। अपील के लिए पहले रकम जमा कराने की आवश्यकता को जुर्माने की रकम का 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव है। अपील ट्रिब्यूनल में अपील के लिए भी 10 फीसदी की कटौती की जाएगी।
व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची 3 में भी संशोधन को मंजूरी दी है। इससे ऐसे प्रावधान किए जा सकेंगे ताकि निर्यात अथवा आपूर्ति मंजूरी से पहले किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अथवा फ्री ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन (एफटीडब्ल्यूजेड) में रखी गई वस्तुओं को न तो वस्तुओं की आपूर्ति और न ही सेवाओं की आपूर्ति माना जाए।
विभिन्न राज्यों में फैले कारोबार को इंटर-स्टेट रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत लेनदेन के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट वितरित करने की अनुमति देने के लिए जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 2(61) और धारा 20(1) के साथ-साथ सीजीएसटी नियमों को भी संशोधित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं और नियमों में संशोधन को भी मंजूरी दी है ताकि हाल में शुरू किए गए इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट को आसान बनाया जा सके। इससे कारोबारियों को जीएसटी देनदारियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।