खाद्य पदार्थों की तुलना में गैर खाद्य पदार्थों पर अधिक खर्च कर रहे लोग, SBI की रिपोर्ट

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नई दिल्ली। SBI Report: भारतीय घरों के खर्च में पिछले 12 वर्षों के दौरान बड़ा बदलाव आया है। अब लोग खाद्य पदार्थों की तुलना में गैर खाद्य पदार्थों पर अधिक खर्च कर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक के एक शोध अध्ययन में यह बात सामने आई है।

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट से परिवारों के उपभोग में बदलाव के कई रुझानों का पता चला है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय घरों में दालों और अनाज की खपत करीब 5% तक कम हुई है। यह बदलाव शहरी और ग्रामीण, दोनों ही इलाकों में हुआ है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ” शहरी और ग्रामीण इलाकों में दालों व अनाज की खपत में 5% से अधिक की महत्वपूर्ण गिरावट आई है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों का उपभोग व्यवहार बदल रहा है। पिछले 12 वर्षों के दौरान शहरों व गांवों दोनों ही क्षेत्रों में लोगों ने खाद्य पदार्थों की तुलना में गैर खाद्य पदार्थों पर अधिक खर्च किया है।

रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों पर खर्च में बड़ी कटौती की बात कही गई है। ग्रामीण इलाकों में खाने-पीने की चीजों पर 2011-12 के दौरान करीब 52.9 प्रतिशत तक खर्च होता था। 2023-24 में खर्च का यह प्रतिशत घटकर 47.04 पर आ गया। इसमें करीब 5.86% की गिरावट दर्ज की गई। इस मामले में शहरी क्षेत्रों में भी कम लेकिन महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई। शहरों में खाने-पीने पर 2011-12 के दौरान करीब 42.62% खर्च होता था, वर्तमान में यह आंकड़ा 2.92% घटकर 39.68% पर आ गया।

इसके विपरीत, गैर खाद्य पदार्थों पर भारतीय घरों के खर्च में इजाफा हुआ है। बीते 10-12 वर्षों के दौरान यह 57.38% से बढ़कर 60.32% पर पहुंच गया, इसमें 2.94% की बढ़त दर्ज की गई। दूसरी ओर, साफ-सफाई पर भी भारतीय घरों का खर्च बढ़ा है। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और सफाई के प्रति जागरुकता बढ़ने से इससे जुड़ी सामग्रियों पर अब लोग अधिक खर्च करने लगे हैं।

करों व उपकरों पर लोगों का खर्च घटा
एसबीआई की रिपोर्ट में खपत से जुड़ा एक रोचक तथ्य भी सामने आया, वह यह है कि करों और उपकरों पर भारतीय परिवारों का खर्च घटा है। माना जा रहा है कि यह कमी संभवत: जीएसटी दरों को आसान बनाने के कारण हुई है। इस दौरान, कपड़ों और जूतों पर भी लोगों का खर्च घटा है। पुरानी कर प्रणाली की तुलना में जीएसटी के तहत दरों के कम होने से यह बदलाव आया है।

खाद्य पदार्थों की तुलना में गैर खाद्य पदार्थों पर खर्च बढ़ना, भारत में सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य के बदलने का संकेत है। आमदनी बढ़ने से लोगों के रहन-सहन का स्तर बदला है। स्वच्छता और किफायती कराधान को बढ़ावा देने वाली सरकार की पहलों ने, विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की प्राथमिकता में बदलाव किया है। ये बदलाव भारत में उपभोग व्यवहार के वैश्विक रुझानों के अनुरूप होने के संकेत देते हैं।