थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स की बिक्री में फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम, सख्त हुआ रिजर्व बैंक

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वित्त वर्ष 2016 में बैंकिंग लोकपाल के पास आईं शिकायतों का ब्योरा।

बैंकों के खिलाफ भी बैंकिंग लोकपाल में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं ग्राहक

मुंबई। पहली बार इंश्योरेंस पॉलिसी या म्यूचुअल फंड स्कीम जैसे थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स को गलत तरीके से बेचने के लिए बैंकों की जिम्मेदारी तय की गई है। अब ग्राहक मोबाइल और डिजिटल बैंकिंग सर्विस के लिए बैंकों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों की ओर से थर्ड पार्टी इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स की बिक्री में पैदा हुई गड़बड़ियों समेत बैंकिंग ऑम्बड्समैन स्कीम 2006 का दायरा बढ़ा दिया है। संशोधित स्कीम के तहत ग्राहक मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिग सर्विस को लेकर रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन नहीं करने पर बैंकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

संशोधन के बाद फैसला देने का लोकपाल का आर्थिक न्यायक्षेत्र 10 लाख रुपये से दोगुना कर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। लोकपाल को कानूनी लड़ाई लड़ने में शिकायतकर्ता के बर्बाद हुए वक्त, इस प्रक्रिया की लागत, उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा के लिए एक लाख रुपये तक का मुआवजा तय करने का अधिकार दिया गया है।

ग्राहकों के पास शिकायत के उन वैसे मामलों की भी अपील कर सकते हैं जो क्लोज कर दिए गए हैं।अब तक इंश्योरेंस पॉलिसी या म्यूचुअल फंड लेने के बाद फर्जीवाड़े का पता चलने पर ग्राहकों को संबंधित इंश्योरेंस कंपनी या म्यूचुअल फंड के पास ही गुहार लगाना पड़ता था। यह दुनियाभर में लागू कानूनों के मुताबिक नहीं था।

मसलन, पिछले साल यूके के चार बड़े बैंकों बार्क्लेज, एचएसबीसी, लॉयड्स और आरबीएस को पेमेंट प्रॉटेक्शन इंश्योरेंस की गलत जानकारी देने के एवज में भारी जुर्माना भुगतना पड़ा। न्यायक्षेत्र के आधार पर देश में अभी कुल 20 बैंकिंग लोकपाल कार्यरत हैं। पीड़ित ग्राहक ईमेल या पोस्ट के जरिए लोकपाल में शिकायत कर सकते हैं।

इससे पहले उन्हें संबंधित बैंक के शिकायत निवारण विभाग से संपर्क कर जवाब के लिए 30 दिनों तक इंतजार करना होगा। अदालतों से इतर लोकपाल में शिकायत की कोई फी नहीं ली जाती है। हालांकि, अगर समय-सीमा खत्म होने या किसी दूसरे कोर्ट में सुनवाई हो जाने की स्थिति में वह शिकायत सुनने से इनकार कर सकता है।

वित्त वर्ष 2016 में बैंकिंग लोकपाल को 1.03 लाख शिकायतें मिलीं जिनमें 95 प्रतिशत का निपटारा हो गया। इनमें सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत शिकायतें वादा पूरा नहीं करने और नियमों का उचित पालन नहीं करने से जुड़ी थीं। वहीं, एटीएम डेबिट कार्ड की 12.71 प्रतिशत जबकि क्रेडिट कार्ड की 8.49 प्रतिशत शिकायतें आईं। बाकी की शिकायतें पेंशन, फालतू के चार्ज, लोन, जमा आदि से जुड़ी थीं।