MBS अस्पताल दवा घोटाला, 5 लाख की सॉल्यूशन 13 लाख में खरीदी

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कोटा। एमबीएस अस्पताल में फ्यूमिगेशन ‘स्पॉरीसाईडॉल सॉल्यूशन खरीद में घपला सामने आया है। अस्पताल प्रशासन ने एक निजी दवा सप्लायर फर्म से सांठ-गांठ कर 5 लाख रुपए का फ्यूमिगेशन 13 लाख रुपए में खरीद लिया। नियमों की अनदेखी कर महंगी दर पर फ्यूमिगेशन खरीदने से सरकार को सीधे 8 लाख रुपए का फटका लग गया।

नर्सिंग इंचार्ज, मेडिसिन आईसीयू व प्रभारी अधिकारी सेंट्रल लेब माइक्रो बायोलॉजी ने 22 व 26 दिसम्बर 2018 को फ्यूमिगेशन की डिमांड की थी। इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एमबीएस अधीक्षक ने एमबीएस हॉस्पिटल की निविदा 2016-17 के आधार पर स्टेट फं ड से दिसम्बर 2018 में ही 1725 रुपए प्रति लीटर की दर से 740 लीटर फ्यूमिगेशन खरीद के आदेश जारी किए।

अस्पताल में माल सप्लाई हुआ तो फरवरी 2019 में प्रशासन ने सप्लायर फर्म को करीब 13 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। यानी 2016-17 की आरसी (रेट कॉन्ट्रेक्ट) पर सॉल्यूशन खरीद लिया। कोटा मेडिकल कॉलेज ने तीनों अस्पतालों के लिए 2017-18 ड्रग मेडिसिन टेंडर में डिसइंफेक्टेंट्स (फ्यूमिगेशन के काम में आने वाला सॉल्यूशन) की आरसी 675 रुपए प्रति लीटर है।

इतना ही नहीं कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी टेंडर में दवा सप्लाई के लिए पांच फ र्मों से अनुबंध है, लेकिन एमबीएस अस्पताल प्रशासन ने टेंडर शर्तों के बाहर जाकर पांचों फर्मों को दरकिनार कर अलग फर्म से फ्यूमिगेशन की खरीद कर ली। मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा की गई आरसी से इस फ्यूमिगेशन की खरीद होती तो फर्म को केवल 4 लाख 99 हजार 500 रुपए का भुगतान करना पड़ता, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने ऐसा नहीं किया। अधिक दर पर खरीद करने से सरकार को सीधे-सीधे लाखों की चपत लगा दी।

क्या है फ्यूमिगेशन
फ्यूमिगेशन एक रासायनिक पदार्थ है जो कीट-पतंगों और वायरल को खत्म करने के लिए उपयोग में लिया जाता है। फ्यूमिगेशन का मेडिकल में उपयोग किया जाता है। खासकर ऑपरेशन थियटर में यह काम आता है, ताकि संक्रमण नहीं फैले। फ्यूमिगेशन से किसी भी तरह के किटाणु नहीं बचते। एमबीएस प्रशासन द्वारा खरीदा गया सोल्यूशन क्रिटिकल एरिया में फोगिंग, सर्जिकल, एस्थेटिक इंटुसमेन्ट के बैक्टीरिया (कीटाणु) खत्म करने के काम में आता है।

एमबीएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि फ्यूमिकेशन का वर्क ऑर्डर नई आरसी के पहले जारी हुआ है। दो जगह से डिमांड आई थी। इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर इनकी खरीद की गई है। महंगी दर पर खरीदने जैसी वाली कोई बात नहीं है। नई आरसी जारी होने से पहले इसका वर्कऑर्डर जारी किया गया था।