नई दिल्ली। गोल्ड और दूसरे एसेट्स के मुकाबले पिछले एक साल से चांदी का प्रदर्शन कमजोर रहा है। मौजूदा समय में गोल्ड सिल्वर रेश्यो हाई है, जिसका सीधा मतलब है कि चांदी के भाव सस्ते बने हुए हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि चांदी में निवेश करने का अच्छा मौका है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंजम्पशन स्टोरी बेहतर है, जिससे डिमांड बढ़ने की उम्मीद है। ग्लोबल सेंटीमेंट भी बुलियन के फेवर में है। वहीं, गोल्ड सिल्वर रेश्यो का हिस्टोरिकल चार्ट से यह संकेत मिल रहा है कि यह आने वाले दिनों में कम होगा। ऐसे में चांदी कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा बढ़ेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले एक साल में चांदी में 18 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है।
पिछले एक साल में चांदी में गिरावट
पिछले एक साल की बात करें तो चांदी की कीमतों में 3 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है। चांदी 39200 रुपए प्रति किलो के भाव पर बनी हुई है। वहीं, बुलियन मार्केट में भी पिछले एक हफ्ते में चांदी में 1000 रुपए से ज्यादा गिरावट आई है।
क्यों होगा ज्यादा फायदा
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि गोल्ड-सिल्वर रेश्यो अभी हाई पर बना हुआ है। जिसका मतलब है कि सोने के मुकाबले चांदी के भाव कम हैं। लेकिन पिछले 40 साल का चार्ट देखें तो 3 बार गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 80 के ऊपर गया है, वहीं 2 बार 40 के नीचे आया है। वहीं, पिछले 20 साल का एवरेज देखें तो यह औसतन 61 रहा है। हर 2 से 3 साल पर एक बार यह 61 के आस-पास जरूर आता है। चार्ट देखकर साफ है कि गोल्ड-सिल्वर रेश्यो में कमी आएगी।
16 फरवरी 2016 को यह रेश्यो 81 पर आ गया था, जो 1.5 साल में वापस 67 के लेवल पर आ गया। वहीं, 2 माह पहले यह वापस 81 के लेवल पर आ गया, जो मौजूदा समय में 79 के लेवल पर आ गया है। अगले एक साल में गोल्ड-सिल्वर रेश्यो वापस 71 के लेवल पर आ सकता है। यानी चांदी के भाव बढ़ेंगे। अगले एक साल में यह 15 से 18 फीसदी तक रिटर्न दे सकता है।
डिमांड में कमी नहीं आई
केडिया का कहना है कि पिछले दिनों यूएस फेड ने इंटरेस्ट रेट को लेकर एग्रेसिव पॉलिसी अपनाई है। यह बयान भी आया कि इस साल 4 बार दरें बढ़ाई जाएंगी। वहीं, कमोडिटी मार्केट में भी पिछले कुछ ट्रेडिंग सेशन से तेजी रही है। कई प्रमुख ग्लोबल बाजारों में भी तेजी रही है।
इसके बाद भी बुलियन पर निगेटिव इंपैक्ट नहीं पड़ा है। जिसका सीधा मतलब है कि डिमांड स्टोरी मजबूत है। उनका कहना है कि चांदी इंडस्ट्रियल मेटल है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री में डिमांड रहती है। आगे इसके और तेज होने की उम्मीद है। ऐसे में चांदी की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा।
ये फैक्टर बुलियन के सपोर्ट में
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे कई फैक्टर हैं, जो बुलियन के फेवर में हैं। इनका फायदा सोने और चांदी को मिलेगा। लेकिन यहां पर गोल्ड-सिल्वर रेश्यो से साफ है कि सोने के मुकाबले चांदी की कीमतें ज्यादा तेजी से बढ़ेंगी। ये हैं फैक्टर…..
-एंजेल ब्रोकिंग कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिंडेंट अनुज गुप्ता के मुताबिक, इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गई हैं। क्रूड में तेजी से अन्य कमोडिटी में महंगाई बढ़ती। महंगाई बढ़ने पर बुलियन में निवेश बढ़ जाता है।
-जियो पॉलिटिकल टेंशन को लेकर कंसर्न खत्म नहीं हुआ है। अगर आगे यह और तेज होता है तो सोने और चांदी जैसे एसेट क्लास में निवेश बढ़ता है।
-केडिया का कहना है कि आगे महंगाई बढ़ने का डर बना हुआ है। यूरोपीयन कमर्शिन बैंक मार्केट में लगातार पैसे डाल रही है। इससे इनफ्लेशन बढ़ने का डर बना हुआ है। वहीं, अमेरिका में भी इनफ्लेशन कंसर्न बना हुआ है। यह स्थिति सोने और चांदी की कीमतों को सपोर्ट करने वाली है।
-दुनियाभर के इक्विटी मार्केट पर दबाव कम नहीं हुआ है। भारत में भी पॉलिटिकल अनसर्टेनिटी का माहौल है। ऐसे में आने वाले दिनों में मार्केट पर दबाव का फायदा बुलियन को मिल सकता है।
-इन्वेस्टमेंट के तौर पर रियल एस्टेट अपना रुतबा खोता जा रहा है। अफोर्डेबल हाउसिंग में सप्लाई ज्यादा होने से कीमतें गिरी हैं। इससे रियल एस्टेट में निवेश करने वालों की संख्या में कमी आई है। इसका फायदा गोल्ड को मिल सकता है।