नई दिल्ली। Foreign investors Withdrawal: भारतीय शेयर बाजारों में 2023 में मजबूत निवेश के बाद विदेशी निवेशकों ने 2024 में अपने निवेश को काफी हद तक कम कर दिया। इस साल शुद्ध प्रवाह 5,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा। उच्च घरेलू मूल्यांकन और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों का अधिक सतर्क रुख अपनाना इसकी मुख्य वजह रही।
वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिंजकर ने कहा कि 2025 की ओर देखते हुए भारतीय शेयर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रवाह में सुधार देखने को मिल सकता है। इसे कॉर्पोरेट आय में चक्रीय उछाल से समर्थन मिलेगा खासकर पूंजीगत वस्तुओं, विनिर्माण व बुनियादी ढांचे जैसे घरेलू-उन्मुख क्षेत्रों में।
‘डिपॉजिटरीज’ के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में 5,052 करोड़ रुपये से अधिक और ऋण बाजार में 1.12 लाख करोड़ रुपये (24 दिसंबर तक) का शुद्ध निवेश किया है। इससे पहले 2023 में शेयर बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया गया था, जो भारत के जुझारू आर्थिक बुनियादी ढांचे के बारे में आशावाद से प्रेरित रहा था। इसके विपरीत 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों की आक्रामक दर वृद्धि के कारण 1.21 लाख करोड़ रुपये की सबसे अधिक शुद्ध बिकवाली दर्ज की गई थी।
2025 में भी जारी रहेगा एफडीआई प्रवाह
वैश्विक अनिश्चितताओं तथा चुनौतियों के बावजूद भारत में इस साल जनवरी से अब तक औसतन मासिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 4.5 अरब डॉलर से अधिक रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के देश में निवेशक अनुकूल उपायों को बढ़ावा देने से 2025 में भी यह रुझान बरकरार रहने की उम्मीद है।
निवेशक-अनुकूल नीतियां, निवेश पर मजबूत ‘रिटर्न’, कुशल कार्यबल, कम अनुपालन बोझ, छोटे उद्योग-संबंधी अपराधों को दूर करना, सुव्यवस्थित अनुमोदन तथा मंजूरी के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं विदेशी निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए किए गए प्रमुख उपायों में से हैं।