कोटा। रासायनिक खादों और कीटनाशकों ने खेती ही नहीं भूगर्भ जल एवं सतही जल को भी प्रदूषित कर दिया है। किसानों को अपनी फसलों में अधिक पानी देना पड़ रहा है जिससे भू जल भण्डार रीतते जा रहे है।जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए रासायनिक खादों पर निर्मरता छोड़नी होगी और पारम्परिक जैविक खेती को पुनः अपनाना होगा।
उक्त बात राष्ट्रीय जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने जिले के संगोद क्षैत्र के कुंदनपुर एवं कमोलर में राम कृष्ण शिक्षण संस्थान भदाना, कट्स इंटरनेशनल तथा स्वीडिश सोसायटी फॉर नेचर कंजर्वेशन द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप् में कही।
विजयवर्गीय ने कहा कहा कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के कारण जमीन में केंचुए खत्म हो गए और धरती कठोर हो गई जिससे ज्यादा पानी खर्च हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्थान के संयोजक एवं नगर निगम में पार्षद युधिष्ठिर चानसी ने कहा कि गोबर की खाद से पारम्परिक खेती से धरती और मनुष्य दोनों को स्वास्थ्य ठीक रहता है और आर्थिक लाभी भी होता है।
आजकल कई बीमारियों में वृद्धि जहरीली खेती के कारण हो रही है। कार्यक्रम में कमोलर की सरपंच लीला बाई सुमन,कुंदनपुर के उप वार्ड पंच राम कल्याण सुमन,उप सरपंच कृष्ण मुरारी सेन,गोविंद सुमन ,राम कुमार वर्मा आदि ने विचार व्यक्त कर जैविक खेती के लाभों का प्रचार करने का संकल्प जताया। विशिष्ठ अतिथि जल बिरादरी की सदस्य प्रीति विजय ने भी जैविक खेती को श्रेष्ठ बताया।