वॉशिंगटन/नई दिल्ली।. अमेरिका में काम कर रहे साढ़े सात लाख से ज्यादा भारतीयों के लिए मंगलवार को राहत भरी खबर आई। डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका अपनी H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं कर रहा है।
इसका मतलब यह हुआ कि ये साढे़ सात लाख इंडियन प्रोफेशनल्स आगे भी वहां नौकरियां करते रहेंगे और उन्हेें भारत नहीं लौटना होगा। दरअसल, ट्रम्प ने प्रेसिडेंट बनने के बाद ‘buy american-hire american’ पॉलिसी का एलान किया था।
इसके मुताबिक, वहां की कंपनियों के लिए इस तरह के रूल्स बनाए जाने थे कि वो ज्यादा से ज्यादा अमेरिकियों को ही जॉब्स दें। इसी टारगेट को हासिल करने के लिए H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में बदलाव किए जाने वाले थे।
अब अमेरिका छोड़ने की जरूरत नहीं
– न्यूज एजेंसी ने अमेरिकी अथॉरिटीज के हवाले से कहा- ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में ऐसा कोई बदलाव करने नहीं जा रहा है जिसकी वजह से ये वीजा रखने वालों को देश छोड़ना पड़े।
– यह एलान यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेस यानी USCIS ने किया है। बता दें कि USCIS के हवाले से ही कई दिनों से इस तरह की खबरें आ रहीं थीं कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रहा है। जाहिर है कि अगर ये बदलाव होते तो भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता।
– एक अफसर ने कहा- H-1B वीजा होल्डर्स से जुड़े मामलों में ऐसा कोई रेग्युलेट्री चेंज नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से ये वीजा रखने वालों को देश छोड़ना पड़े। अमेरिका में इससे जुड़ी एक कानून की धारा (104 C) है।
दूसरे बदलाव मुमकिन- USCIS के एक अफसर जोनाथन विदिंगटन ने कहा- हम प्रेसिडेंट ट्रम्प की Buy American, Hire American पॉलिसी को लागू करने के लिए दूसरे बदलाव कर रहे हैं। इसमें इम्प्लॉईमेंट बेस्ड वीजा प्रोग्राम्स भी शामिल है।
– यह मामला तब और बढ़ा जब पिछले हफ्ते यूएस की न्यूज एजेंसी मैक्लाची ने खबर दी कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन H-1B वीजा एक्सटेंशन पॉलिसी में बड़े बदलाव करने जा रहा है। एजेंसी ने कहा था कि इन बदलावों को सबसे ज्यादा असर इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा।
नए रूल्स का क्या असर होता?
– ट्रम्प सरकार के नए कदम से वो हजारों विदेशी वर्कर जिनके पास H-1B है, तब तक काम नहीं कर पाते, जब तक उनकी ग्रीन कार्ड एप्लिकेशन पेंडिंग रहती।
– 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि प्रेसिडेंट बनने पर वो ‘अमेरिकी ही खरीदो और अमेरिकियों को ही नौकरी दो’ की नीति पर काम करेंगे।
एक्सपर्ट ने उठाए थे सवाल
– लियोन फ्रेस्को ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान जस्टिस डिपार्टमेंट में अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के नए रूल पर उन्होंने कहा था- यह उन लोगों के लिए खतरनाक होगा जो करीब 10 साल से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। उनके बच्चे अमेरिकी हैं और उनका यहां घर है।
– फ्रेस्को ने कहा था, करीब 10 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके पास H1-B वीजा है और जो ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर भारतीय हैं।
क्या है H-1B वीजा?
– H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं।
– H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं।
– USCIS जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है।
– अप्रैल 2017 में यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेस (USCIS) ने 1 लाख 99 हजार H-1B पिटीशन रिसीव किया।
– अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए, यानी 103% ज्यादा। ये स्टूडेंट्स यूएस के किसी संस्थान में पढ़े हुए होने चाहिए। इनके सब्जेक्ट साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैथ्स होने चाहिए।