औरंगाबाद। जून से सितंबर 2017 में अनियमित मानसून की बारिश और मौसम परिवर्तन के कारण 12 राज्यों में फसल पर कीटों तथा रोगों का हमला हुआ है। इस कारण सोयाबीन, गन्ने और कपास जैसी अहम फसलों में 20से 25 फीसदी तक की कमी आने का खतरा है। कैश क्राॅप पर कीटों के इस हमले से किसानों को ज्यादा नुकसान सहना पड़ रहा है।
इस बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के ऑल इंडिया नेटवर्क प्रोजेक्ट आॅन व्हाइट ग्रब के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. पांडुरंग मोहिते बताते हैं कि इस साल जून से सितंबर तक बारिश हुई। लेकिन बािरश का पैटर्न कुछ अलग था। जून के पहले आधे भाग में अच्छी बारिश हुई। लेकिन दूसरे भाग में मानसून ने ब्रेक ले लिया।
जुलाई में भी यह लंबा ब्रेक जारी रहा। फिर अगस्त में कम अवधि में धुअांधार बारिश हुई। फिर ब्रेक गया। सितंबर में भी मानसून का यही पैटर्न देखने को मिला। इस वजह से कीट तथा रोगों के लिए पोषक वातावरण बना रहा। फिर अक्टूबर गर्म रहा। नवंबर और दिसंबर में कड़ाके की ठंड ज्यादा नहीं पड़ी। यही कारण है कि फसलों पर कीट और रोग का असर बढ़ता गया।
राज्यों में ऐसे रहे हालात
-महाराष्ट्र में कपास पर पिंक बाल वर्म का हमला देखा गया है। कपास का उत्पादन 20 से 40 प्रतिशत तक कम रहा। वहीं गन्ना, सोयाबीन, प्याज, धान, मूंगफली की फसल पर वाइट ग्रब (होमनी इल्ली कीड़े) के हमले से इन फसलों का उत्पादन 25% घटेगा।
-महाराष्ट्र, गुजरात, तामिलनाडु में टमाटर, बैंगन, मिर्च पर पत्ता खाने वाले सूंडी कीट से नुकसान हुआ है। उपज 20 से 25% घटी है।
-छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में गन्ने को होमनी कीड़ा लग गया। गन्ने का 20 फीसदी उत्पादन घट सकता है। दोनों राज्य की कम उपजाऊ जमीन (लोफर्टाइल) परटर्माइट कीट देखने में रहे हैं।
-राजस्थान में सोयाबीन पर टोबैको कैटरपिलर और बाजरा पर एअर हेड कैटरपिलर का हमला है। उत्पादन 15 से 20% कम हुआ।
-आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में कपास पिंक बाल वर्म और धान ब्राउन प्लान्ट हॉपर की चपेट में। उत्पादन में 30 से 35% की कमी आई है।
-पश्चिम बंगाल में गेंहू की फसल पर व्हीट रस्ट का हमला हुआ। इससे फसल को 15 से 20 प्रतिशत का नुकासान हो सकता है।
महाराष्ट्र के परभणी स्थित वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चान्सलर डॉ. बी वेंकटेश्वरलू कहते हैं- भारत तथा दुनियाभर की रिसर्च यही बताती हैं कि क्लाइमेट चेंज से फसलों पर रोग और कीट का हमला बढ़ता है। उमस तथा तापमान में अचानक बदलाव के कारण कीटों की संख्या काफी बढ़ती है। इन्हें खत्म करना मुश्किल होता है।
कपास पर लगने वाले व्हाइट फ्लाई और बाल वार्म्स कीट और सोयाबीन के पत्ते खाने वाली सुंडी कीट मौसम परिवर्तन के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। यानी अनियमित, बेमौसम बारिश में यह कीट तेजी से फैलता है।
इस बात से कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा भी इत्तेफाक रखते हैं। वे कहते हैं कि कीट से किसानों का नुकसान हुआ है, यह सच है। लेकिन कीटों के हमले के लिए केवल मौसम परिवर्तन ही नहीं अन्य भी कई कारण जिम्मेदार हैं। इसके अन्य तथ्य भी जानना चाहिए।
सोयाबीन उपज तक घट सकती है 25%
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब में फसलों पर होमनी इल्ली कीड़े का हमला हुआ है। इस हमले के कारण गन्ने की खरीफ उपज भी 20 फीसदी घटी है। सोयाबीन, टमाटर, मिर्च की उपज में भी 25 फीसदी तक कमी रही है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सोयाबीन पर पत्तों से रस चूसने वाला कीट नजर आया। इससे इसकी प्रति एकड़ उपज में 25 फीसदी से 30 फीसदी की कमी देखी जा रही है।