नई दिल्ली। Respiratory drugs: देसी बाजार में पिछले चार महीने के दौरान में श्वसन संबंधी उपचार की दवाओं की बिक्री में तेज वृद्धि देखी गई है। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों और उद्योग के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (सीओपीडी) और खांसी-जुकाम के उपसमूहों की बढ़ती मांग के कारण ऐसा हुआ है। उदाहरण के लिए नवंबर में श्वसन संबंधी दवाओं की बिक्री अक्टूबर के मुकाबले 7.6 प्रतिशत तक बढ़ी है।
बाजार अनुसंधान कंपनी फार्मारैक के आंकड़ों के अनुसार हालांकि जून 2024 तक इस उपचार क्षेत्र की दवा बिक्री के आंकड़ों में गिरावट देखी जा रही थी, लेकिन मॉनसून और संक्रमण के मौसम की शुरुआत के कारण जुलाई से बिक्री में उछाल आई। इस साल जनवरी में श्वसन संबंधी दवाओं की बिक्री 1,591 करोड़ रुपये दर्ज की गई, जो जून 2024 में घटकर 989 करोड़ रुपये रह गई और तब से हर महीने इसमें इजाफा देख गया है।
हालांकि नवंबर 2024 में श्वसन संबंधी दवाओं की बिक्री में पिछले साल की तुलना में केवल 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन अक्टूबर की तुलना में इस क्षेत्र में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। नवंबर 2024 में इस बाजार की बिक्री बढ़कर 1,638 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि अक्टूबर 2024 में यह 1,522 करोड़ रुपये थी। पिछले महीने प्रदूषण से संबंधित बीमारियों में उछाल के बीच ऐसा हुआ। नवंबर 2024 में इजाफे के ये आंकड़े तब सामने आए, जब इस महीने प्रदूषण से जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों में भी वृद्धि देखी गई।
अक्टूबर में बाजार में सितंबर के मुकाबले 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस प्रवृत्ति पर टिप्पणी करते हुए फार्मारैक की उपाध्यक्ष (वाणिज्य) शीतल सापले ने कहा कि श्वसन श्रेणी में मौसम की सामान्य प्रवृत्ति दिख रही है और एंटी-अस्थमा तथा खांसी और जुकाम इस श्रेणी के प्रमुख घटक हैं।
उन्होंने कहा, ‘मॉनसून के मौसम से इसकी खपत शीर्ष पर रहती है और सर्दियों के बाद धीरे-धीरे कम हो जाती है। मॉनसून और सर्दियों के मौसम की गंभीरता के आधार पर विभिन्न भौगोलिक इलाकों में यह प्रवृत्ति अलग-अलग हो सकती है।’