Kota Dussehra: बच्चों एवं महिलाओं का साफा बांधने का हुनर देख दर्शक हुए हतप्रभ

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कोटा दशहरा मेला में साफा बांधने की प्रतियोगिता का आयोजन

कोटा। कोटा के दशहरा मेला में राजस्थानी आन बान और शान देख आसमां से मुस्कुराता चांद भी कुछ देर के लिए ठिठक गया। विजयश्री रंगमंच पर साफे में सजे चेहरों की आभा उस पर भारी पड़ती दिखी। मौका था दशहरा मेला में साफा बांधने की प्रतियोगिता का।

मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने बताया कि रविवार को प्रतियोगिता में एक महिला सहित 25 प्रतिभागी शामिल हुए। जिन्हें तीन मिनट में सबसे खूबसूरत साफा बांधना था। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को साफ़ा बांधते समय साफ़ा पूरी तरह से खोलकर रखना था। इसके साथ ही साफा बांधते समय सिर पर आटा का ध्यान रखना था।

साफा बांधते समय साफा घुमाने का तरीका और चेहरे के हिसाब से उसके बांधने, उठाव और झुकाव आदि का ध्यान रखना था। प्रतियोगिता में इस बात पर सबसे ज्यादा जोर था कि साफा कितने राउंड की चुन्नट का बांधा गया है। प्रतियोगिता शुरू होते ही प्रतिभागियों ने एक दूसरे से बेहतर साफा बांधने में अपना जोर लगा दिया। तय समय में सभी प्रतिभागी साफा बांध चुके थे।

बच्चों ने दी बुजुर्गों को जोरदार टक्कर
साफा बांधने की प्रतियोगिता का सबसे खूबसूरत पहलू यह था कि आयु वर्ग के आधार पर देखें तो तीन पीढ़ियां राजस्थानी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत बनाए हुए थीं। 12- 14 साल के बच्चे 40- 45 ही नहीं 65 और सत्तर साल के प्रतिभागियों को जोरदार टक्कर दे रहे थे। 12 साल के जयवर्धन, 13 साल के हर्षवर्धन और दिनेश, 14 के जयेश गुप्ता एवं 15 साल के वेदांत तिवारी ने जिस तेजी और खूबसूरती से साफा बांधा हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो गया। बच्चे ही नहीं महिलाओं ने भी साफा बांधने में बड़े बड़ों को खूब टक्कर दी। प्रतिभागी संतोष सुमन को साफा बांधते देख हर कोई हतप्रभ था।

यह रहे विजेता
सभी प्रतिभागियों ने जिस कौशल के साथ साफा बांधा उसके हिसाब से विजेताओं का चयन करने में निर्णायकों के भी पसीने छूट गए। खासी मशक्कत के बाद दीपक मेहरा को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया। वहीं नवीन वर्मा दूसरे स्थान पर रहे। जबकि तीसरे स्थान के लिए लड़ाई इतनी घमासान थी कि 5 प्रतिभागियों योगेश वर्मा, राजवीर सिंह राठौड़, वेदांत तिवारी, नंद सिंह और संतोष सुमन को विजेता घोषित करना पड़ा।