कोटा। संसार में साहसी को ही सफलता मिलती है। आपका पुरुषार्थ और साहस ही आपकी सफलता की सीढ़ी है। जिन परिस्थितियों के कारण आपको हार मिल रही वही परिस्थितियाँ आपकी जीत का कारण बन सकती हैं। यदि आप में साहस है तो आप परिस्थितियों से बिखरे नहीं। यह बात आदित्य सागर मुनिराज ने चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर समिति द्वारा आयोजित नीति प्रवचन में कही।
जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में श्रमण मुनिराज ने अपने ज्ञान की वर्षा प्रवचनों के माध्यम से भक्तों पर की। इस अवसर पर अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।
महाराज आदित्य सागर ने कहा कि जीवन में हर दिन एक से नहीं होते। हर वक्त के परिणाम भी अलग-अलग होते हैं, परंतु लोग परिस्थितियों के विपरीत होते ही अपनी स्वाभाविकता खो देते हैं। यदि आप साहसी बनोगे, तो सफल अपने आप बन जाओगे। उन्होंने कहा कि जो सफलता लंबे समय बाद मिलती है, वही स्थायी सफलता होती है। उन्होंने कहा कि कैसी भी परिस्थिति हो, हमें अपने आपको कमजोर नहीं होने देना है।
उन्होंने कहा बचपन से आज तक कोई सुख का कारण बताएं जो स्थाई हो और कोई दुख की वजह बताएं जो बचपन से आज तक आपको परेशान कर रही हो। उन्होंने कहा कि वक्त व कारणों से सुख व दुख बदलते रहते हैं। यही जिंदगी है। विपरीत परिस्थितयों में व्याकुल न हो साहसी बनें।
उन्होंने कहा कि राम जंगल में अकेले थे और उनकी पत्नि का हरण हो गया। दोनों भाई व्याकुल होने की जगह सीता की खोज में लग गए। वह परिस्थितयों से परेशान नहीं हुए और अपने साहस को कम नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि मनुष्य छोटे-छोटे दुखों में उम्मीदें पूरी ना होने पर कमजोर होकर दुखी हो जाते हैं।