मंत्री नागर ने मुख्य सचिव अभयकुमार से बात कर उच्चाधिकारियों की कमेटी बनाने के दिए निर्देश
कोटा। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने रविवार को परवन प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर काम की प्रगति की रिपोर्ट ली। उन्होंने निर्माण कार्यों की समीक्षा की और प्रोजेक्ट के सेकंड फेज का काम शीघ्रता से पूर्ण करने के निर्देश दिए। इस दौरान खानपुर पंचायत समिति में परवन प्रोजेक्ट के प्रभावित परिवार ऊर्जा मंत्री से मिलने पहुंचे।
बड़ी संख्या में आए ग्रामीणों ने डूब क्षैत्र के गांव बरेड़ा को मुआवजा दिलाने की मांग रखी। जिस पर मंत्री श्री नागर ने जल संसाधन विभाग के मुख्य सचिव अभयकुमार से बात कर मामले का निराकरण करने की बात कही। उन्होंने अभय कुमार से उच्चाधिकारियों की कमेटी बनाकर भौगोलिक परिस्थितियों का उचित परिस्थितियों में आंकलन करने के निर्देश दिए।
बैठक में पवन वृहद सिंचाई परियोजना सर्किल झालावाड़ के एसई डीएन शर्मा, प्रोजेक्ट झालावाड़ के इंजीनियर सीएस मीना, कालीसिंध प्रोजेक्ट के इंजीनियर महेंद्र मीणा, प्रोजेक्ट बारां के इंजीनियर प्रदीप जैन उपस्थित थे।
मंत्री नागर ने काम की गति बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मोई कलां और बपावर में सिविल कार्य समय पर पूर्ण किए जाएं। कैनाल बनाने का काम भी जल्दी हो। अधिकारियों ने बताया कि सांगोद क्षैत्र का सेकंड फेज में 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। वहीं डैम का भी 88 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
मंत्री श्री हीरालाल नागर ने बताया कि खानपुर तहसील का बरेडा गांव परवन वृहद सिंचाई परियोजना के अंतर्गत आंशिक डूब क्षेत्र में है। जहां पर कृषि भूमि व निवास करने वाले व्यक्तियों का विस्थापन और पुनर्वास आवश्यक है। कोई भी अकारण अपना पुश्तैनी मकान या गांव नहीं छोड़ना चाहता है।
परियोजना के अंतर्गत बरेडा गांव के निवासियों की 70 फीसदी कृषि भूमि अवाप्त हो चुकी है। जबकि 10 मकान ही डूब क्षेत्र में आए हैं। ऐसे में, इन लोगों के लिए आजीविका के साधन नहीं हैं तो फिर बिना मुआवजे के भी इन्हें यहां से विस्थापित होना पड़ेगा। ऐसे में गांव के हित में विशेष पैकेज अथवा मुआवजे को लेकर सरकार के स्तर पर निर्णय किया जाएगा। वहीं आवश्यकता हुई तो मुख्यमंत्री से बात कर प्रभावित लोगों के भविष्य की चिंता की जाएगी।
ग्रामीण शिवराज नागर, नंदकिशोर नागर, मांगीलाल भील, बजरंगलाल राठौर, सुरेश सेन आदि ने बताया कि गांव में तकरीबन 300 परिवार पैकेज से वंचित हैं। कृषि रोजगार के अलावा अन्य रोजगार का कोई साधन भी उपलब्ध नहीं है। जल संसाधन विभाग के द्वारा एमटीएल लाइन को आधार मानकर मकान को अवाप्त किया गया है।
बांध स्थल से ग्राम बरेड़ा की आबादी 4 किलोमीटर दूर है। जहां गांव के अंदर आबादी क्षेत्र में जिस जगह तक मकान अवाप्त किए गए हैं। वहां से 200 फीट के अंदर संपूर्ण मकान डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। गांव तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है। जलीय जीवों व अन्य कारणों से किनारों पर रहना भी संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि जल संसाधन विभाग के द्वारा पुराने नियमों को आधार मानकर संपूर्ण आबादी क्षेत्र को डूब में नहीं लिया गया है। जबकि बांध के भराव क्षेत्र में अंतिम बिंदु से 200- 300 फीट की दूरी तक आबादी व अन्य प्रकार की गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती हैं। पानी भरने के उपरांत निवासियों को बिना पैकेज के भी जटिल परिस्थितियों में विस्थापित होकर बेघर होना पड़ेगा।