नई दिल्ली। खरीफ और रबी सीजन में उत्पादित होने वाले दो अलग-अलग प्रमुख दलहनों-अरहर (तुवर) एवं चना पर लगी भंडारण सीमा की अवधि 30 सितम्बर 2024 को समाप्त हो रही है और सरकार ने संकेत दिया है कि इसकी समय सीमा इससे आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार देश में इन दोनों दलहनों की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता देखी जा रही है और कीमतों में भी कुछ नरमी आने के संकेत मिल रहे हैं इसलिए भंडारण सीमा की अवधि बढ़ाने का कोई ठोस कारण या औचित्य नजर नहीं आता है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने 21 जून 2024 को होल सेलर्स, रिटेलर्स एवं मिलर्स के लिए 30 सितम्बर 2024 तक चना एवं तुवर पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) का आदेश लागू किया था जिसका उद्देश्य खुले बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाना और कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाना था।
इसके तहत रिटेलर्स के लिए 5 टन तथा होल सेलर्स के लिए 200 टन की भंडारण सीमा नियत की गई थी। बिग चेन रिटेलर्स के लिए भी प्रत्येक आउटलेट पर 5 टन तथा डिपो पर 200 टन का स्टॉक रखने की अनुमति दी गई थी। आयातकों को कस्टम क्लीयरेंस की तिथि से 45 दिनों के अंदर अपने आयातित दलहनों को बाजार में उतारने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश चालू माह के अंत तक लागू रहेगा।
एक अग्रणी संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) का कहना है कि यदि भंडारण सीमा की अवधि नहीं बढ़ाई गई तो दलहन उद्योग को कुछ राहत मिलेगी और वह त्यौहारी सीजन में दाल-दलहनों की कीमतों को स्थिर रखने में सरकार की सहायता करेगा।
विदेशों और खासकर अफ्रीकी देशों से तुवर के नए माल का आयात शुरू हो गया है और अक्टूबर-नवम्बर में ऑस्ट्रेलिया में नए चने की आवक शुरू हो जाएगी इसलिए देश में इन दोनों दलहनों की आपूर्ति में सुधार आएगा।
यदि भंडारण सीमा नही हटाई गई तो आयात तक विशाल मात्रा में विदेशों से दलहनों का आयात नहीं कर पाएंगे। यदि कोई जहाज 50 हजार टन दलहन लादकर भारत आता है तो आयातक महज 45 दिनों में उसकी बिक्री नहीं कर सकते हैं।