प्रत्यक्ष कर ‘विवाद से विश्वास योजना’ 1 अक्टूबर से होगी लागू: वित्त मंत्रालय

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नई दिल्ली। Direct Tax Vivad Se Vishwas Scheme: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना, 2024 अधिसूचित कर दी है। यह योजना 1 अक्टूबर, 2024 से लागू होगी। यह योजना करदाताओं को सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अपीली पंचाट में 22 जुलाई, 2024 तक लंबित अपील, रिट याचिका और विशेष अवकाश याचिकाओं का निपटान करने की अनुमति देगी।

हालांकि इस योजना को शुरू किए जाने की तारीख की घोषणा हो गई है लेकिन इसकी अंतिम तिथि अभी तय नहीं की गई है। इस योजना के अनुसार यदि करदाता की प्रत्यक्ष कर की याचिका आयुक्त, पंचाट, उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है तो वह मुकदमा जारी नहीं रखने या उसकी जगह समाधान का विकल्प चुन सकता है। ऐसे में करदाता पूरे कर की अदायगी करेगा और उसके ब्याज व दंड को खत्म कर दिया जाएगा। ऐसा तभी होगा जब आयकरदाता ने याचिका यर कर रखी हो।

ऐसे मामलों में जब राजस्व विभाग ने करदाता के खिलाफ अपील दायर कर दी है, योजना के मुताबिक करदाता को कर राशि के केवल 50 फीसदी का भुगतान करने की इजाजत होगी। उदाहरण के तौर पर यदि मामला पंचाट के स्तर पर है और राजस्व विभाग उच्च न्यायालय में अपील कर रहा है, ऐसी अवस्था में करदाता कर राशि के 50 फीसदी का भुगतान कर मुकदमेबाजी से बच सकता है। डेलॉयट के आंकड़े के अनुसार आयकर विभाग के प्रथम पंचाट के समक्ष 5.44 लाख अपीलें लंबित हैं और आयकर के लंबित मामलों की राशि 12.2 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुकी है।

डेलॉयट इंडिया की पार्टनर करिश्मा आर फातरफेकर ने बताया, ‘सरकार की घोषित विवाद से विश्वास (वीएसवी) 2.0 योजना 1 अक्टूबर, 2024 से लागू होगी। कर भुगतान की राशि 1 जनवरी, 2025 से 10 फीसदी बढ़ना तय है, ऐसे में कंपनियों के लिए लागत लाभ के दृष्टिकोण और व्यापक गैर कर दोनों के लिहाज से अपने लंबित आयकर याचिकाओं का मूल्यांकन करना महत्त्वपूर्ण है।

विवाद से विश्वास योजना 2.0 के नियमों और फाॅर्म की घोषणा कर दी गई है। यह योजना सीमित समय के लिए है इसलिए योजना को चुनने के लिए समझदारी वाला फैसला जल्दी किया जाना चाहिए।’ फातरफेकर ने कर सुधार योजना को और आकर्षक बनाने के लिए कई सुझाव दिए।

पहला, उन्होंने जोर देकर कहा कि करदाताओं के लिए प्रशासनिक दिक्कतों को दूर किए जाने की जरूरत है। दूसरा, उन्होंने सुझाव दिया कि करदाताओं के लिए योग्यता मानदंड बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि इस योजना में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। तीसरा, उन्होंने द्वितीयक समायोजनों का समाधान करने की आवश्यकता का उल्लेख किया।