वायनाड में भूस्खलन की तीन बड़ी घटनाएं, 93 से ज्यादा लोगों की मौत

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सैकड़ों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका

वायनाड। Wayanad Landslides: केरल का वायनाड जिला भीषण आपदा का शिकार हो गया। जिले के मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की कई घटनाएं हुईं जिनमें अबतक 93 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 128 घायल हुए हैं। वहीं सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। स्थानीय आपदा मोचन बल के जवान राहत और बचाव कार्य चला रहे हैं। बारिश के कारण कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।इस प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। वहीं सैकड़ों लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। राहत और बचाव दल को बारिश के कारण कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से सामने आई तस्वीरें घटना के विकराल होने की गवाही देती हैं। हादसे की जगह ध्वस्त मकान, उफनती नदी, लकड़ियों के विशाल ढेर, कीचड़ और कूड़े दिखाई दे रहे हैं। वायनाड में इतना बड़ा हादसा भूस्खलन की कई घटनाओं के कारण हुआ है।

मंगलवार की सुबह वायनाड जिले के मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की तीन बड़ी घटनाएं हुईं। मेप्पाडी, मुंडक्कई टाउन और चूरलमाला में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ। पहला भूस्खलन भारी बारिश के दौरान रात करीब एक बजे मुंडक्कई टाउन में हुआ।

बचाव अभियान अभी चल ही रहा था कि चूरलमाला स्कूल के पास सुबह करीब चार बजे दूसरा भूस्खलन हुआ। इसके चलते स्कूल और आसपास के घरों और दुकानों में पानी और कीचड़ भर गया। आपदा के 13 घंटे बाद एनडीआरएफ और सेना के जवानों की एक टीम नदी पार कर मुंडक्कई पहुंची। मुंडक्कई, चूरलमाला से 3.5 किलोमीटर दूर है।

भूस्खलन की घटना ने करीब 90 लोगों की जान ले ली है। सैकड़ों लोग इस आपदा में घायल हुए हैं और उनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस प्राकृतिक आपदा का असर घटना वाली तीनों जगह दिख रहा है। 2018 की बाढ़ के बाद चूरलमाला भूस्खलन केरल की सबसे बड़ी आपदा है। भूस्खलन के चलते चूरलमाला बाजार ही गायब हो गया है। कितने घर नष्ट हुए इसकी कोई सटीक गिनती नहीं है।

मुंडक्कई इलाके में, कई घरों की केवल छत ही बची है। जगह-जगह शव पड़े हुए हैं, इन्हें मेपाड्डी तक नहीं पहुंचाया जा सका है। मुंडक्कई से सूचना मिली कि गिरी हुई इमारतों के पास शव पड़े हुए हैं। उन तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। शवों को मुंडक्कई में कुछ वाहनों में ले जाया गया। वायनाड में भूस्खलन में फंसे लोगों के शव कई किलोमीटर दूर पड़ोसी जिले मलप्पुरम में भी बह गए। मलप्पुरम जिले में चलियार नदी के अलग-अलग हिस्सों से अब तक 20 से ज्यादा शव मिल चुके हैं।

इस बीच, मुंडक्कई नदी में अचानक पानी बढ़ने पर बचाव अभियान रोकना पड़ा। वहां के लोग फोन पर गुहार लगा रहे हैं कि कम से कम हमारे बच्चों को मुंडक्कई से बचा लो। घर नष्ट हो जाने से भोजन और पानी की भी कमी हो गई है। 12 घंटे तक बिना बिजली के रहने से कई लोगों के फोन बंद हो गए हैं, जिससे बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है।

मलबे के बीच अपनों की तलाश
आंखों में आंसू लिए एक युवती अभी भी अपने परिजनों को तलाश रहीं हैं। युवती ने बताया कि उनके परिवार के पांच सदस्य भूस्खलन के बाद से लापता हैं। इन पांच सदस्यों में दो बच्चे भी शामिल हैं। युवती इस उम्मीद में दर-दर भटक रही है कि कहीं से लापता हुए परिजनों का कोई सुराग मिल जाए। युवती इस उम्मीद के साथ अस्पताल आई कि कहीं उसके परिजन यहां तो भर्ती नहीं? युवती का कहना है, ‘मुझे नहीं पता कि क्या करना है, अपने परिजनों को कहां ढूंढना है? आखिर हम क्या करेंगे? हमारे परिवार के दो बच्चे भी लापता हैं।’

भारतीय तटरक्षक बल ने वायनाड भेजा आपदा राहत दल
वहीं वायनाड में भूस्खलन आपदा के जवाब में, भारतीय तटरक्षक बल जिला मुख्यालय (केरल और माहे) और भारतीय तटरक्षक बल स्टेशन बेपोर ने प्रभावित क्षेत्र में आपदा राहत दल भेजा है। आपदा से प्रभावित समुदायों को तत्काल राहत और सहायता प्रदान करने के लिए टीमों को जुटाया गया है। राहत दल में उच्च प्रशिक्षित ICG कर्मी और एक समर्पित चिकित्सा दल शामिल है। टीम जरूरी आपदा राहत सामग्री से लैस है। इसमें बचाव कार्यों के लिए रबर की नावें, पानी और जल निकासी की समस्याओं को प्रबंधित करने के लिए डीजल से चलने वाले पंप, सुरक्षा के लिए लाइफ जैकेट, प्रतिकूल मौसम की स्थिति में कर्मियों की सुरक्षा के लिए रेनकोट और गम बूट और मलबे को साफ करने और प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए अन्य मिट्टी साफ करने वाले उपकरण मौजूद है।