नई दिल्ली। Budget 2024: वस्तुओं और सेवाओं पर आम लोगों की ओर से होने वाले खर्च में सुस्ती के बीच वित्त वर्ष 2025 के लिए पेश किए जाने वाले आम बजट में सरकार टैक्स के मोर्चे पर कुछ रियायतें दे सकती है। सरकार का जोर ओल्ड टैक्स रिजीम के बजाय अधिक से अधिक लोगों को न्यू टैक्स रिजीम की ओर लाने पर है।
लिहाजा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करते हुए नई टैक्स व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाने और टैक्स एग्जेम्पशन लिमिट को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने जैसे कदम उठा सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे नई कर व्यवस्था का आकर्षण बढ़ेगा।
वित्त वर्ष 2024 में 8.2% की GDP ग्रोथ के साथ लगातार तीसरा साल रहा, जब इकॉनमी बढ़ने की रफ्तार 7% से अधिक रही। लेकिन, अर्थव्यवस्था का करीब 60% हिस्सा जिस प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (PFCE) पर टिका है, उसकी ग्रोथ 4% ही रही। विशेषज्ञ इसे बढ़ाने के लिए इंसेंटिव दिए जाने पर जोर दे रहे हैं।
डेलॉयट इंडिया के डायरेक्टर तरुण गर्ग ने कहा, ‘सरकार न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर सकती है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 80D के तहत डिडक्शंस को न्यू टैक्स रिजीम में शामिल किया जा सकता है। इसकी लिमिट भी बढ़ानी चाहिए। इससे लोग पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेने के लिए भी प्रेरित होंगे।’
टैक्स एक्सपर्ट और सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट सुशील अग्रवाल ने कहा, ‘ओल्ड टैक्स रिजीम में राहत की संभावना नहीं है क्योंकि सरकार इसे फेज आउट करना चाहती है। न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स एग्जेम्पशन लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है।
अभी कुलमिलाकर 7.50 लाख रुपये तक की एनुअल इनकम वालों की टैक्स देनदारी नहीं बनती है, यह बढ़कर 9-10 लाख रुपये तक हो सकती है। डिविडेंड पर डबल टैक्सेशन की स्थिति है। पहले कंपनी उस पर टैक्स देती है और फिर उसे पाने वाला टैक्स देता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए।‘