Soybean Crushing: अप्रैल में सोयाबीन की क्रशिंग घटी, सोया खली का निर्यात भी सुस्त

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नई दिल्ली। Soybean Crushing: सोयाबीन की पेराई (Soybean crushing) अब सुस्त पड़ गई है। सोयाबीन के मामले में तेल वर्ष 2023-24 (अक्टूबर से सितंबर) के अप्रैल महीने में सोयाबीन पेराई में कमी आई है।

हालांकि अप्रैल से पहले के महीनों में हुई ज्यादा पेराई से कुल पेराई में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अप्रैल में सोया खली के निर्यात में भी गिरावट आई है। हालांकि इस तेल वर्ष में अब तक इसका कुल निर्यात बढ़ा है।

सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के आंकड़ों के अनुसार तेल वर्ष 2023-24 के अप्रैल महीने में 9.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई, जो पिछली समान अवधि में 10 लाख टन पेराई से 5 फीसदी कम है।

साथ ही अप्रैल में मार्च से भी कम सोयाबीन की पेराई हुई है। मार्च में 10.50 लाख टन सोयाबीन की पेराई हुई थी, जबकि अप्रैल में 9.50 लाख पेराई हुई है। इस तरह अप्रैल में मार्च की तुलना में 9.50 फीसदी कम पेराई हुई।

अप्रैल महीने में भले ही सोयाबीन की पेराई में कमी आई हो। लेकिन चालू तेल वर्ष की अक्टूबर-अप्रैल अवधि में सोयाबीन की कुल पेराई में इजाफा हुआ है। सोपा के अनुसार अक्टूबर-अप्रैल में 77 लाख टन सोयाबीन की पेराई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में हुई 75.50 लाख टन पेराई से 2 फीसदी अधिक है।

सोपा के मुताबिक चालू तेल वर्ष में 120 लाख टन सोयाबीन की पेराई होने का अनुमान है, जो पिछले तेल वर्ष में हुई 115 लाख टन पेराई से 5.75 फीसदी अधिक है। बीते कुछ महीने से सोया खली के निर्यात में सुस्ती देखी जा रही है। चालू तेल वर्ष में फरवरी से सालाना आधार पर सोया खली के निर्यात में कमी आ रही है।

अप्रैल महीने में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में सोया खली निर्यात में 20 फीसदी गिरावट आई है। इस साल अप्रैल में 1.76 लाख टन सोया खली निर्यात हुई, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह आंकड़ा 2.21 लाख टन था।

चालू तेल वर्ष में फरवरी से पहले के महीनों में निर्यात तेजी से बढ़ने के कारण अब तक कुल सोया खली निर्यात में इजाफा हुआ है। तेल वर्ष 2023-24 की अक्टूबर-अप्रैल अवधि में 15.23 लाख टन सोया खली का निर्यात हो चुका है, जो पिछली समान अवधि के 14 लाख टन निर्यात से 8.8 फीसदी ज्यादा है। सोया खली निर्यात अब सुस्त पड़ने की वजह इसके दाम अधिक होना है। इससे भारतीय सोया खली को खासकर अर्जेंटीना से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।