नई दिल्ली। Edible Oil Import: चालू तेल वर्ष में खाद्य तेलों के आयात में भले ही बड़ी गिरावट देखी जा रही हो। लेकिन रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी बढ़ रही है। रिफाइंड तेल के आयात में कमी भी बहुत कम आई है, जबकि कच्चे तेलों का आयात तेजी से घटा है।
इस बीच, तेल वर्ष 2023-24 (नवंबर से फरवरी) में खाद्य व अखाद्य दोनों मिलाकर कुल तेल आयात में 21 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक इस अवधि में कुल तेल आयात 46.47 लाख टन रहा, जबकि पिछली अवधि में यह आंकड़ा 58.87 लाख टन था। फरवरी महीने में भी इन तेलों का आयात 13 फीसदी घटकर 9.74 लाख टन रह गया। पिछले साल फरवरी में यह आंकड़ा 11.14 लाख टन था।
रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी में इजाफा
चालू तेल वर्ष में कुल तेल आयात में 21 फीसदी गिरावट के बीच रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी बढ़ी है। पिछले तेल वर्ष की नवंबर-फरवरी अवधि में कुल तेल आयात में रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी 14 फीसदी थी। चालू तेल वर्ष की समान अवधि में यह हिस्सेदारी बढ़कर 17 फीसदी हो गई। चालू तेल वर्ष में कुल तेल आयात में 21 फीसदी गिरावट की तुलना में रिफाइंड तेल के आयात में महज 3 फीसदी कमी आई है। इस तेल वर्ष फरवरी तक 7.92 लाख टन रिफाइंड तेल का आयात हुआ है। पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 8.19 लाख टन था।
कच्चे तेल आयात की हिस्सेदारी घटी
कच्चे खाद्य तेलों की कुल तेल आयात में हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले तेल वर्ष में फरवरी तक आयात हुए कुल तेल में कच्चे तेलों की हिस्सेदारी 86 फीसदी थी। चालू तेल वर्ष की समान अवधि में हिस्सेदारी घटकर 83 फीसदी रह गई। चालू तेल वर्ष में फरवरी तक 38.22 लाख टन कच्चे तेलों का आयात हुआ है, जो पिछली समान अवधि में आयात हुए 50.25 लाख टन से करीब 24 फीसदी कम है।
सोयाबीन और सूरजमुखी तेल आयात
चालू तेल वर्ष में सोयाबीन तेल (Crude soybean Degummed oil) के आयात में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। इसका आयात घटकर आधे के करीब रह गया है। नवंबर-फरवरी अवधि में 6.64 लाख टन सोयाबीन तेल का आयात हुआ है, जो पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में आयात हुए 12.04 लाख टन से करीब 45 फीसदी कम है। सूरजमुखी तेल (Crude sunflower oil) के आयात में भी कमी आई है। हालांकि यह सोयाबीन की तुलना में कम है। चालू तेल वर्ष में फरवरी तक 9.06 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात हुआ है, जो पिछली समान अवधि में आयात हुए 9.69 लाख टन से 6.5 फीसदी कम है।