यूएन में भारत की स्थायी सदस्यता रोकने में जुटा पाकिस्‍तान, चीन के इशारे पर उगला जहर

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संयुक्त राष्ट्र। भारत हमेशा अपनी तरक्की के बारे में सोचता है। लेकिन पाकिस्तान अपनी तरक्की की जगह भारत के रास्ते में रोड़ा लगाने के बारे में सोचता है। दुनिया के बड़े मंचों पर भी पाकिस्तान ऐसी हरकत करने से नहीं चूकता। यूएन के प्रतिष्ठित मंच पर भी पाकिस्तान ने भारत का विरोध किया है।

दरअसल संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने यूएन में सुधारों की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में स्थाई और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए। इसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया जाए। उन्होंने यूएन के 5 स्थायी सदस्यों को फटकारते हुए कहा था, ‘लंबे समय तक 5 सदस्य देशों की इच्छा 188 देशों की सामूहिक इच्छा की अवहेलना करती रहेगी। इसे बदलना होगा।’

भारत की इस मांग के खिलाफ पाकिस्तान अब उठ खड़ा हुआ है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में नए स्थायी सदस्यों को शामिल करने की विरोध की पुष्टि की है।

इसके साथ कहा कि नए सदस्य को बढ़ाना 15 सदस्यी निकाय (UNSC) को पंगु बना देगा और ज्यादातर छोटे और मध्यम देशों को काम करने से रोकेगा। दरअसल यूएन में पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन हैं। भारत को स्थायी सदस्य बनाने के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन तैयार हैं। लेकिन चीन नहीं चाहता कि भारत पर्मानेंट मेंबर बने। चीन के इशारों पर ही पाकिस्तान इस तरह की बयानबाजी कर रहा है।

विस्तार के खिलाफ है पाकिस्तान
पाकिस्तान को साफ पता है कि वह आतंक फैलाता है, जिस कारण उसे स्थायी सदस्यता मिलना न के बराबर है। लेकिन भारत को मिल सकती है। इस कारण वह भारत को रोकने में पूरा जोर लगा रहा है। यूएन में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने गुरुवार को अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) में प्रतिनिधियों से कहा, ‘सुरक्षा परिषद के विस्तार में समान प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना चाहिए, न कि नए ऐतिहासिक अन्याय पैदा करना चाहिए।’ पाकिस्तानी दूत परिषद के पुनर्गठन के उद्देश्य से एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरेबियाई और प्रशांत द्वीप देशों के एक समूह के ‘L69 मॉडल’ की चर्चा में हिस्सा ले रहे थे।