नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध तथा गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया जा चुका है।
इसके अलावा बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) भी 950 डॉलर प्रति टन नियत किया गया है। इसके फलस्वरूप चावल के कुल निर्यात में गिरावट तो आई है लेकिन फिर भी भारत दुनिया में इसका सबसे प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है।
थाईलैंड के चावल निर्यातक संघ के अनुसार वर्ष 2023 में भारत चावल के निर्यात में प्रथम स्थान पर बरकरार रहा मगर वैश्विक बाजार में इसकी भागीदारी 40-42 प्रतिशत से घटकर 27 प्रतिशत रह गई।
एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार वर्ष 2023 में भारत से कुल करीब 165 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जो वर्ष 2022 के रिकॉर्ड शिपमेंट 223 लाख टन से काफी कम था। भारत से बासमती और गैर बासमती- दोनों किस्मों के चावल का निर्यात होता है।
अध्यक्ष के मुताबिक भारत से कम निर्यात के कारण वैश्विक चावल बाजार में जो खाली स्थान पैदा हुआ उसकी भरपाई थाईलैंड, वियतनाम एवं पाकिस्तान द्वारा की गई।
वर्ष 2023 में थाईलैंड से 88 लाख टन तथा वियतनाम से रिकॉर्ड 83 लाख टन चावल का निर्यात हुआ और वह क्रमश: दूसरे तथा तीसरे प्लान पर रहा जबकि पाकिस्तान चौथे नम्बर पर आया।
एसोसिएशन के अनुसार वर्ष 2024 में भारत से चावल का निर्यात बढ़ सकता है और वह पहले स्थान पर बरकरार रहेगा जबकि दूसरे स्थान के लिए थाईलैंड एवं वियतनाम के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा हो सकती है।
इन देशों से करीब 75-75 लाख टन एवं पाकिस्तान से 50 लाख टन चावल का निर्यात होने की उम्मीद है। जब तक भारत में प्रतिबंध एवं नियंत्रण लागू है तब तक थाईलैंड, वियतनाम एवं पाकिस्तान के चावल का भाव 600 डॉलर प्रति टन से ऊंचा रह सकता है। 25 प्रतिशत टूटे चावल का दाम इससे नीचे रहने की संभावना है।