नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने थोक कारोबारियों, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए गेहूं स्टॉक सीमा में संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक सीमा को घटाने का फैसला किया है। यह फैसला गेहूं की जमाखोरी रोकने के लिए लिया गया है।
इस फैसले के बाद अब गेहूं कारोबारी और बडी रिटेल चैन कम गेहूं का स्टॉक रख पाएंगे। केंद्र सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने और उपभोक्ताओं के लिए आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की स्टॉक स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है।
केंद्र सरकार ने गेहूं कारोबार में जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए पिछले साल गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाई थी। जिसमें समय समय पर संशोधन किया जाता रहा है। केंद्र सरकार ने आज फिर स्टॉक सीमा में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद गेहूं के कारोबारी/थोक विक्रेता अब 500 टन गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं। पहले यह सीमा 1000 टन थी। प्रत्येक खुदरा कारोबारी अपने आउटलेट पर पहले की तरह 5 टन गेहूं का स्टॉक रख सकेगा।
हालांकि बड़े रिटेल चेन गेहूं का कम स्टॉक रख पाएंगे। पहले इनको प्रत्येक आउटलेट पर 5 टन गेहूं और सभी डिपो पर 1000 टन गेहूं का स्टॉक रखने की अनुमति थी। लेकिन अब प्रत्येक आउटलेट पर तो पहले जितना 5 टन स्टॉक रख सकते हैं। सभी डिपो पर अब 500 टन स्टॉक ही रखने की अनुमति होगी।
गेहूं का प्रसंस्करण करने वाली कंपनी अभी तक वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं। लेकिन अब वे अप्रैल 2024 तक बाकी बचे महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 60 फीसदी गेहूं रख पाएंगे।
स्टॉक की हर शुक्रवार को देनी होगी जानकारी
केंद्र सरकार ने गेहूं का स्टॉक रखने वाले को हर सप्ताह शुक्रवार को पोर्टल पर जानकारी देने को कहा है। गेहूं का स्टॉक करने वाली सभी संस्थानों को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल vegoils.nic.in पर पंजीकरण करना होगा और प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक स्थिति अपडेट करना आवश्यक है। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
यदि संस्थाओं द्वारा रखा गया स्टॉक निर्धारित स्टॉक सीमा से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा में लाना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी पैदा न हो।
सरकार ने खुले बाजार में बेचा 80 लाख टन गेहूं
केंद्र सरकार गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में गेहूं की बिक्री भी कर रही है। सरकार ने 2,150 रुपये प्रति क्विंटल की रियायती दर पर 101.5 लाख टन गेहूं भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से ई—नीलामी द्वारा खुले बाजार में बेचने के लिए जारी किया था। इसमें से अब तक 80.04 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बिक्री स्कीम (OMSS) के तहत प्रोसेसरों यानी आटा मिलों को बेचा जा चुका है।
आवश्यकता के आधार पर जनवरी-मार्च 2024 के दौरान OMSS के तहत अतिरिक्त 25 लाख टन गेहूं उतारा जा सकता है। सरकार उपभोक्ताओं को सस्ता आटा मुहैया कराने के लिए NAFED, NCCF और केंद्रीय भंडार जैसे केंद्रीय सहकारी संगठनों के माध्यम से 27.50 रुपये किलो के रियायती भाव भारत आटा नाम से सस्ता आटा बेच रही है।