नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने 26 अगस्त 2023 को गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया था और अब वह इसकी समयावधि आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।
मालूम हो कि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश है और टुकड़ी चावल तथा गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने के बावजूद यह शीर्ष अपूर्तिकर्ता देश बना रहेगा।
सरकार घरेलू प्रभाग में चावल की कीमतों को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर रही है इसलिए वह सेला चावल पर निर्यात शुल्क को बरकरार रखना चाहती है।
जानकार सूत्रों के अनुसार यद्यपि तत्काल सेला चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है लेकिन इस पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क 31 मार्च 2024 के बाद भी बरकरार रखा जा सकता है।
वैश्विक बाजार में चावल का भाव पहले ही उछलकर पिछले करीब 15 वर्षों के शीर्ष स्तर पर पहुंच चुका है। यदि भारत में सेला चावल पर निर्यात शुल्क को आगे भी कायम रखने की घोषणा की गई तो एशियाई चावल के बेंचमार्क मूल्य में कुछ और तेजी आ सकती है।
यह घोषणा पश्चिम अफ्रीका एवं मध्य-पूर्व एशिया के कुछ देशों के लिए बुरी सूचना साबित हो सकती है जिसे भरोसा है कि 31 मार्च 2024 के बाद भारतीय सेला चावल का निर्यात शुल्क मुक्त हो जाएगा और तब इसकी कीमतों में कुछ नरमी आ सकती है। लेकिन आगामी आम चुनाव को देखते हुए भारत सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी और इसलिए निर्यात शुल्क को बरकरार रखने का निर्णय ले सकती है।