Srimad Bhagwat: पुरूषार्थ से ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण संभव: बालयोगी महाराज

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कोटा। Srimad Bhagwat Katha: कार्ष्णि सेवा समिति की ओर से दादाबाड़ी स्थित श्रीराम सनातन मंदिर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा की शनिवार को पूर्णाहुति की गई। कथाव्यास राष्ट्रीय संत कार्ष्णि ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने सातवें दिन विभिन्न प्रसंगों की प्रस्तुति देते हुए कथा का विराम किया। यजमान शेरसिंह राजावत, प्रवक्ता लीलाधर मेहता, विमलेश ने भागवत की आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

कथाव्यास राष्ट्रीय संत कार्ष्णि ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने कहा कि भक्त की साधना से खुश होकर भगवान रीझ जाते हैं। कलियुग में जीवन के सभी पापों से मुक्ति का एक मात्र आधार भगवान की भक्ति ही है। भगवान का नाम स्मरण करने से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। भगवान नाम में भारी शक्ति है।

उन्होंने व्रत उपासना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई ईश्वर किसी से भूखे पेट रहकर भक्ति करने को नहीं कहते हैं। मन पर नियंत्रण और नाम जाप ही इस जगत में पार लगाने के लिए काफी है। दुष्ट व्यक्ति दूसरे के दुख से कभी परेशान नहीं होता, बल्कि दूसरे के सुख से परेशान होता है। पुरूषार्थ से ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माण होना संभव है। इसके लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करते रहना चाहिए। वर्तमान में किए जाने वाला पुरूषार्थ ही हमारे अगले जीवन के अच्छे भाग्य का निर्माण करते हैं।

महाराज ने कहा कि संसार सागर में भक्ति एक नौका की तरह है। नौका के बिना भव सागर से पार नहीं उतरा जा सकता है। उसी तरह भक्ति के बिना मनुष्य जीवन पटरी पर नहीं चल सकता है। ईश्वर भक्ति का मार्ग अपना कर मनुष्य को मोक्ष का मार्ग पर चलना चाहिए।