दधीचि जयंती महोत्सव: अंगदान व देहदान के संदेश के साथ निकाली शोभायात्रा
कोटा। श्री महर्षि दधीचि छात्रावास समिति में शनिवार को दाधीच समाज की ओर से दो दिवसीय महर्षि दधीचि महोत्सव मनाया गया। अध्यक्ष प्रदीप दाधीच ने बताया कि समाज बंधु ने हवन,पूजन,शोभायात्रा व रक्तदान, कन्याधात्री महिला व प्रतिभा सम्मान कर त्याग व दान की प्रतिमूर्ति महर्षि दधीचि को याद किया। शोभायात्रा के उपरान्त समाजबुंधओं स्वामी ज्ञानानन्द जी तीर्थं महाराज शंकराचार्य ज्योतिर्ममठ आवान्तर भानपुरा पीठ के आशीर्वचन प्राप्त किए।
इस अवसर समाज अध्यक्ष प्रदीप दाधीच, लोकेश दाधीच तीरथ, विश्वामित्र दाधीच, पुरूषोतम पुरोहित, गोपाल दाधीच, डॉ. मुकेश दाधीच, महिला अध्यक्ष माया दाधीच, मोनिका व उषा दाधीच, सचिव जयवल्लभ, पुनित ,नितेश, कपिल व आशीष दाधीच सहित कई समाज बंधु उपस्थित रहे।
इसके उपरान्त इस वर्ष कन्याधात्री 8 महिलाओं को मंच पर चुनरी उड़ा कर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक संध्या में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कति किया गया। समाज द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में 46 यूनिट रक्तदान हुआ।
शोभायात्रा में उमड़ा समाज
महर्षि दधीचि जयंती का प्रारंभ मां दधिमति का अभिषेक एवं महर्षि दधीचि के पूजन से प्रारंभ हुआ। विप्र विद्वान पंडितों द्वारा विधिवत पूजन व हवन किया गया। इसके उपरान्त शोभायात्रा का आयोजन छात्रावास से आकाशवाणी मुख्य मार्ग से होते हुए नाग नागिन मंदिर से पुन: छात्रा समिति तक रहा। शोभायात्रा में दो श्वेत अश्व के पीछे मां दधिमति की पालकी, महर्षि दधीचि की झांकी और उसके पीछे शिव परिवार व राम दरबार की जींवत झांकी सजाई गई थी। समाज बंधु जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे थे। शोभायात्रा में उंट व घोड़ागाड़ी भी शामिल थी। शोभायात्रा मार्ग में महिलाएं नृत्य करती हुए आगे बढ़ रही थी और पुरूष जयकारों के साथ चल रहे थे। महिलाएं लाल चुनरी व पुरूष सफेद कुर्तें पजामा में शामिल हुए।
अंगदान व देहदान का संदेश
धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण देने वाले महर्षि दधीचि की शोभायात्रा में समाज ने अंगदान, देहदान सहित समाज, संस्कृति व पर्यावरण रक्षण के संदेश देते हुए बैनर व तख्तियां ले रखी थी। अध्यक्ष प्रदीप दाधीच ने बताया कि समाज में अंगदान व देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के साथ शोभायात्रा का आयोजन किया गया था। शोभायात्रा में मृत्यलोक के बाद स्वर्ग में चाहिए स्थान तो जरूर करे अंगदान, यदि विश्वास है अंगदान में तो सहयोग करे। ।
सत्यमार्ग की राह दिखाई
संयोजक नितेश दाधीच ने बताया कि स्वामी ज्ञानानन्द जी तीर्थं महाराज शंकराचार्य ज्योतिर्ममठ आवान्तर भानपुरा पीठ ने अपने प्रवचन में त्यागी, महादानी महर्षि दधीचि की त्याग की कथा का वर्णन किया। उन्होंने मानव जीवन में सदमार्ग व कलयुग में जीवन जीने की राह बताई। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति काया अर्थात इस चमडी का ध्यान रखाता है, उसे ही महत्व देता है, परन्तु बिना अस्थि इस काया का कोई महत्व नहीं है।
धर्म के साथ अर्थ भी जरूरी
स्वामी ज्ञानानंद जी तीर्थ महाराज ने अपने प्रवचन में आज के युग में धर्म के साथ अर्थ को भी महत्व देते हुए कहा कि तुलसी दास जी महाराज ने भी अर्थ के महत्व को परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों को साधना के साथ साधन भी जुटाने चाहिए। शंकाराचार्य ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि हमे धन का उपयोग व उपभोग भी समय पर करना चाहिए।
इंद्रियों को काबू रखना है सुखकारक
शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद जी तीर्थ महाराज ने कहा कि वह व्यक्ति सुखी है जिसने अपनी इंद्रियों को काबू कर रखा है। वह व्यक्ति परेशान है जो अपनी इन्द्रियों के वश में है। यदि हम अपनी इन्द्रियों को काबू में रखते हैन तो अपनी आधी समस्या का समाधान तो तुरंत ही कर देंगे।