पुष्टिमार्गीय रीति से शुरु हुआ वचनामृत, भागवत कथा का महत्व बताया
कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश टेंपल बोर्ड की ओर से शनिवार से छप्पनभोग परिसर में प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा के सान्निध्य में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का पुष्टिमार्गीय रीति से शुभारंभ हुआ।
कथाव्यास तुलसीदास शास्त्री श्रीमद्गोकुल के द्वारा पहले दिन भागवत पूजन, आचार्य पूजन हुआ। इसके बाद भागवत कथा महत्व, परीक्षित जन्म, कुंती स्तुति तथा श्रीसुकदेव आगमन की कथा का वर्णन किया गया। वहीं द्वितीय स्कंध में शुकदेव जी की कथा आरंभ करने का वर्णन हुआ।
इससे पहले श्री मथुराधीश प्रभु के मंदिर में श्री ठाकुर जी और प्रथम पीठ युवराज मिलन बावा की आज्ञा लेकर पाटनपोल से श्रीमदभागवत की शोभायात्रा प्रारंभ हुई। महिलाएं सिर पर कलश लेकर चल रहीं थीं। वैष्णव भक्त हरिनाम संकीर्तन करते हुए वाद्य यंत्रों और सुमंगल बैंड की धुन पर नृत्य करते हुए चल रहे थे। इस दौरान भगवान मथुराधीश प्रभु और बल्लभाधीश के जयकारे गूंज रहे थे। शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए छप्पनभोग स्थित कथास्थल पहुंची। जहां श्रीमद्भागवत का ग्रंथ स्वरूप विराजमान किया गया।
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा पुष्टिमार्गीय रीति से शुरु हुई। जिसमें सुबोधिनी भागवतार्थ प्रकरण आदि अनेक ग्रंथ के अनुसार कथा और वचनामृत किया जा गया। इस दौरान अष्टसखा द्वारा रचित कीर्तन हुए। कथा विश्रांति पर गोस्वामी मिलन बावा ने भागवत जी की आरती की। प्रबंधक चेतन सेठ तथा मोनू व्यास ने बताया कि कथाव्यास द्वारा प्रतिदिन 3 से 6.30 बजे तक कथा सरिता बहाई जा रही है। रविवार को श्रीकपिल अवतार एवं ध्रुव चरित्र के प्रसंगों का वर्णन होगा।