-कृष्ण बलदेव हाडा-
Corruption In The Judicial System: न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दिया गया बयान अब राजनीति के दायरे में आ गया है और इस बयान से न्यायिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर खड़े हुए सवाल को लेकर पक्ष-विपक्ष की राजनीति होने लगी है।
मुख्यमंत्री के बयान के बाद जहां प्रदेश के मुख्य प्रतिपक्ष दल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अशोक गहलोत के बयान को न्यायिक व्यवस्था और संविधान को चुनौती देने वाला बताते हुए उनकी हताशा और आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी-सरकार की होने वाली हार की आशंका का नतीजा बताया है। लेकिन ऎसे लोगों की संख्या कमतर नहीं है जो इस मसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान से इत्तेफ़ाक रखते हैं।
यहां तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कई नीतियों को लेकर हमेशा उनके खिलाफ खड़े रहने वाले राजस्थान में कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और अशोक गहलोत के ही मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर ने इस बयान के लिए श्री गहलोत की जमकर तारीफ करते हुए अपना समर्थन व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान का यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया है। भाजपा समर्थक एक उत्साही वकील ने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पीआईएल तक राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर कर दी है जिसमें अगले महीने में सुनवाई की तारीख तय की गई है।
यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है। इस सवाल का शुरुआत राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल के केंद्रीय कानून मंत्री एवं पार्टी में उनके प्रतिद्वंदी अर्जुन मेघवाल पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप से शुरू हुआ था जिसका जवाब न तो अर्जुन मेघवाल से देते बना और न ही भाजपा के नेताओं से।
उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था के अपमान का मसला बना लिया और अब वे कैलाश मेघवाल को छोड़कर इसे देश की कानून-व्यवस्था और संविधान की बात करते हुए मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेने पर आमादा हैं।
जबकि मुख्यमंत्री ने तो यह बात भी कही है कि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल खुद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं और पद पर रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं जिसकी जांच होगी। अब जब केंद्रीय मंत्री के खिलाफ जांच की बात कही तो भाजपा नेताओं ने इस पर राजनीति करना शुरू कर दिया।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने न्यायिक व्यवस्था में व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार संबंधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रयास को सराहा। श्री भरत सिंह ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को भेजे एक पत्र में कहा है कि “आपका बयान सराहनीय है।
आपकी आलोचना होना भी स्वाभाविक है लेकिन सत्य है कि कोर्ट में भ्रष्टाचार होने के कारण आम आदमी को न्याय नहीं मिल पाता है। गरीब आदमी तारीख पर तारीख के अलावा कई पीढ़ियों तक मुकदमे लड़ते-लड़ते मर जाता है।”
इस मामले में श्री भरत सिंह ने अपना व्यक्तिगत अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि- “मेरा यह मानना है कि न्यायालयों से कहीं अधिक भ्रष्टाचार अजमेर में राजस्व विभाग के मुख्यालय में है, जहां एक पत्रावली पर लगातार होते रहे विलंब के बारे में मैं आपको भी पत्र लिख चुका हूं।
पत्रावली नियमों में आने के बाद भी उस पर निर्णय नहीं किया जाना बहुत बड़ा अन्याय है। आज न्याय प्राप्त करना दुर्लभ हो गया है। आम आदमी का विश्वास न्याय के प्रति डगमगा गया है।”
श्री भरत सिंह ने तो यहां तक कहा कि” न्याय सरकारी योजना के तहत सरकार की ओर से मुफ़्त में बांटा तो नहीं जा सकता, लेकिन न्याय को खरीदा तो जा सकता है।” उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को जयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के संबंध में गंभीर आरोप लगाया था और कहा था कि न्यायिक व्यवस्था में स्थिति यह है कि वकील फैसले लिख कर लाते हैं और वही फैसला न्यायालय में सुना दिया जाता है।