नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अंशधारकों के लिए उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए तय की गई समयसीमा 26 जून तक बढ़ा दी है। अधिक पेंशन का लाभ उठाने के इच्छुक लोग 26 जून तक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ऑनलाइन सुविधा मुहैया कराई गई थी। अब तक 12 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। ऑनलाइन सुविधा केवल 3 मई 2023 तक ही उपलब्ध रहनी थी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2022 में Employees Pension (Amendment) Scheme 2014 को बरकरार रखने की बात कही थी। साल 2014 में किए गए ईपीएस संशोधन में पेंशन सैलरी कैप को 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रतिमाह करने की बात कही गई थी।
इसके अलावा मेंबर्स और एम्प्लॉयर्स को Employees Pension Scheme के अंतर्गत उनके वास्तविक वेतन का 8.33 प्रतिशत कंट्रीब्यूट करने की बात भी कही गई थी।शीर्ष अदालत ने उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का समय दिया था। यह समय सीमा 3 मार्च 2023 के को समाप्त होनी थी। इसके बाद इसे बढ़ाकर तीन मई 2023 कर दिया गया था।
ईपीएफओ ने अपनी वेबसाइट पर कहा था कि जो कर्मचारी एक सितंबर 2014 से पहले सेवा में थे और एक सितंबर 2014 को या उसके बाद सेवा में बने रहे, लेकिन कर्मचारी पेंशन योजना के तहत संयुक्त विकल्प का इस्तेमाल नहीं कर सके हैं वे अब इसका लाभ उठा सकते हैं।
वर्तमान में, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों कर्मचारी के मूल वेतन, महंगाई भत्ते और रिटेनिंग भत्ते, यदि कोई हो, का 12 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि या ईपीएफ में योगदान करते हैं। कर्मचारी का पूरा योगदान ईपीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता द्वारा 12 प्रतिशत योगदान ईपीएफ में 3.67 प्रतिशत और ईपीएस में 8.33 प्रतिशत के रूप में विभाजित किया जाता है। भारत सरकार एक कर्मचारी की पेंशन में 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है, जबकि कर्मचारी पेंशन योजना में योगदान नहीं करते हैं।