नई दिल्ली। दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल मंदी की चपेट में आ सकती है। हालांकि, दुनियाभर में आपूर्ति व्यवस्था में हो रहे बदलाव से भारत व उसके जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि और महंगाई की स्थिति विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से अलग-अलग होगी। दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों के वैश्विक अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को लेकर अलग-अलग विचार हैं।
कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर मंदी इस साल आने की आशंका है, जबकि कुछ इससे सहमत नहीं हैं। यह सर्वे डब्ल्यूईएफ से जुड़े मुख्य अर्थशास्त्रियों की राय के आधार पर तैयार की गई है।
डब्ल्यूईएफ एमडी सादिया जाहिदी का कहना है कि आर्थिक परिदृश्य का ताजा संस्करण वर्तमान आर्थिक वृद्धि की अनिश्चितता को बताता है। हालांकि, श्रम बाजार फिलहाल मजबूत साबित हो रहा है, लेकिन वृद्धि सुस्त बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है और कई देशों में रहन-सहन की लागत ऊंची बनी हुई है।
इन देशों को फायदा
सर्वे में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर, हरित ऊर्जा, वाहन, औषधि, खाद्य, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मुख्य रूप से आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस बदलाव से जो क्षेत्र सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे, उसमें दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र, लैटिन अमेरिका, कैरेबियाई देश और अमेरिका शामिल हैं। देशों के स्तर पर भारत, तुर्किये, वियतनाम, इंडोनेशिया, मेक्सिको, थाईलैंड और पोलैंड को ज्यादा लाभ होगा।
बैंकों के डूबने का खतरा
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हाल में वित्तीय क्षेत्र में जो संकट आया है, वह व्यवस्था के स्तर पर कोई बड़ी समस्या नहीं है। हालांकि, इस साल बैंकों के विफल होने के और मामले सामने आ सकते हैं। आर्थिक नीति के मोर्चे पर 72 फीसदी अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले तीन साल में विभिन्न देशों में सक्रियता के साथ औद्योगिक नीति को लागू करने का चलन बढ़ेगा।