चार साल में किसानों के लिए की गई घोषणाएं सिर्फ दस्तावेजों में सिमटी

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भारतीय किसान संघ ने पूर्व की बजट घोषणाओं को पूरा करने की मांग रखी

कोटा। भारतीय किसान संघ ने शनिवार को आने वाले राज्य सरकार के बजट से पूर्व तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता ने 4 साल में की गई लुभावनी घोषणाओं को पूरा करने और इसका व्यापक रोडमैप प्रस्तुत करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार गत 4 बजट में किसानों के नाम पर लुभावनी घोषणाएं कर वाहवाही लुटती रही है, लेकिन अभी तक एक भी घोषणा पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि समाज में यह संदेश दिया गया कि सरकार किसानों के लिए बहुत कुछ कर रही है।

प्रांत प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने कहा कि सरकार ने तीन फेज बनाकर किसानों को दिन में बिजली देने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक रात में भी बार बार ट्रिप होती बिजली से किसान खासा परेशान है। किसानों को बिजली के लिए अलग एग्रीकल्चर बिजली निगम को लेकर कोई काम नहीं हुआ। सरकार ने 2023 तक सभी कृषि कनेक्शन जारी करने की घोषणा की थी। इसके बावजूद अभी तक 2013 तक के कृषि कनेक्शन पेंडिंग चल रहे हैं। सरकार ने किसानों को 1 हजार ड्रोन उपलब्ध कराने की घोषणा की लेकिन वर्ष भर में एक भी ड्रोन नही मिल पाया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने 2021-22 में 50 हजार सोलर कनेक्शन और 2022-23 में 1 लाख सोलर कनेक्शन देने की घोषणा की। जबकि अभी तक यह कनेक्शन 2021-22 के तहत ही नहीं मिल पाए हैं। हार्टिकल्चर के माध्यम से राशि जमा की गई। अब कनेक्शन देने के बजाय राशि वापस की जा रही है।

वहीं ड्रेन इरिगेशन को लेकर 200 करोड़ की घोषणा हुई परंतु कुछ नहीं हुआ। सरकार तीन साल से दनादन मेगा और मिनी फूड पार्क की घोषणा कर रही है। जबकि धरातल पर एक भी फूड पार्क नहीं बन पाया। हर पंचायत में नंदीशाला के निर्माण की घोषणा भी थोथी साबित हुई है।

प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने कहा कि राज्य बजट में कोटा संभाग के लिए की गई घोषणाओं में से किसी पर काम शुरु नहीं हो पाया है। सरकार ने पूर्वी नहर के लिए 9600 करोड़ की राशि से निगम बनाने की घोषणा की थी। लेकिन सरकार इस घोषणा को पूरी करने के बजाय केवल राजनीतिक बयानबाज़ी में उलझा रही है। इसके अलावा कोटा को बीज लैब, सूक्ष्म सिंचाई रिसर्च सेंटर, कोटा में लहसुन और झालावाड़ में संतरे की प्रोसेसिंग यूनिट पर कोई काम नहीं हुआ।

घोषणा तो हुई पर नहीं हुई: मेज नदी पर गंगाराम माली ग्राम में 10 करोड़ की लागत से एनिकट, हिंडोली में बांडी नदी पर 12 करोड़ की बरबास ग्राम सिंचाई परियोजना, सांगोद में 4.50 करोड़ की लागत से कांकरिया बान्स्याहेड़ी परियोजना, केशवराय पाटन में मेज नदी पर 12 करोड़ की लागत से झाली जी का बराना ग्राम परियोजना, बूंदी में मेज नदी पर ही 20 करोड़ की लागत से खटकड ग्राम परियोजना, रामगंजमंडी में 1.10 करोड़ की लागत से अमझार नदी पर बड़ौदिया आंतरी ग्राम परियोजना, रामगंजमंडी में ही 1.85 करोड़ की लागत से खरली बावड़ी ग्राम परियोजना, झालारापाटन में कालिसिंध नदी पर 6 करोड़ की लागत से रामडी ग्राम परियोजना, कोटा में आहू नदी पर 16 करोड़ की लागत से आहू प्रथम परियोजना, अंता में 15 करोड़ की लागत से सिंगोला लिफ्ट परियोजना की घोषणा की गई है। जो केवल कागजों में ही रह गई हैं।

नहरों का ड्रेनेज सिस्टम अधूरा: कोटा में सीएडी नहरों की दक्षता के लिए ड्रेनेज सिस्टम के जीर्णोद्धार, नहरों, वितरिकाओं, ब्रांच केनालों में पक्की लाइनिंग के कार्य के लिए 483 करोड़ की घोषणा की गई। हाडौती के हिंडोली, समरानिया, नाहरगढ़, रावतभाटा की गौण मंडियों में सुविधाएं विकसित करने की भी घोषणा की गई थी।करावन पचपहाड़, झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां में मिनी फूड पार्क बनाने की घोषणा की। वहीं पूर्वी नहर परियोजना के अंतर्गत नौनेरा, गलवा, बीसलपुर, इसरदा लिंक तथा महालपुर बैराज, रायगढ़ बैराज के लिए 9600 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बजट घोषणा से बाहर नहीं आ पाया।