नई दिल्ली। जीएसटी के तहत कंपोजीशन स्कीम में कुछ और सर्विसेज को शामिल किया जा सकता है। अभी सर्विस सेक्टर में सिर्फ रेस्त्रां कारोबारी को कंपोजीशन का विकल्प चुनने की इजाजत है। ज्यादा सेवाओं को इसके दायरे में लाने से छोटे कारोबारियों को आसानी होगी।
इसके अलावा कंपोजीशन कारोबारी से सामान खरीदने वाले को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा भी मिल सकती है। अभी तो कंपोजीशन वालों को क्रेडिट मिलता है और उनसे सामान खरीदने वालों को। कंपोजीशन स्कीम को आकर्षक बनाने के लिए जीएसटी काउंसिल ने पिछली बैठक में मंत्री समूह बनाया था।
ज्यादा सर्विस प्रोवाइडर्स को इसके दायरे में लाने और इनपुट क्रेडिट देने का सुझाव इसी मंत्री समूह का है। सालाना एक करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाले कारोबारी कंपोजीशन स्कीम चुन सकते हैं। ट्रेडर्स के लिए टर्नओवर पर 1%, मैन्युफैक्चरर के लिए 2% और रेस्त्रां के लिए 5% टैक्स का प्रावधान है।
कंपोजीशन कारोबारियों के लिए तिमाही रिटर्न फाइलिंग का नियम है। इन्हें तो रिटर्न में इनवॉयस की डिटेल्स भरनी पड़ती है और ही ग्राहक को टैक्स इनवॉयस देना पड़ता है। एसी रेस्त्रां पर अभी 18% जीएसटी लगता है। सूत्रों के मुताबिक इसे भी घटाकर 12% किया जा सकता है। हालांकि इसके साथ इनपुट क्रेडिट का प्रावधान खत्म हो सकता है।
मंत्री समूह को इस पर विचार का जिम्मा भी दिया गया था। इसकी पहली बैठक 15 अक्टूबर को हुई थी। समूह 29 अक्टूबर की बैठक में अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देगा। काउंसिल की अगली बैठक 9-10 नवंबर को गुवाहाटी में होनी है।
जॉबवर्क रिपोर्टिंग के लिए ऑफलाइन टूल
जीएसटी नेटवर्क ने जॉब वर्क की रिपोर्टिंग के लिए ऑफलाइन टूल लांच किया है। कोई कंपनी जॉब वर्क के लिए सामान भेजती है तो उसे हर तिमाही इसकी जानकारी आईटीसी-04 फॉर्म में देनी पड़ती है। जुलाई-सितंबर तिमाही की जानकारी ऑफलाइन टूल में भरकर अपलोड कर सकते हैं। डाउनलोड और अपलोड करते समय ही इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी।