नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद सरकार भले ही ऑनलाइन पेमेंट्स को बढ़ावा दे रही हो लेकिन मोदी सरकार का अगला कदम लोगों को फिर से कैश पेमेंट करने पर मजबूर कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ई-पेमेंट्स कंपनियों पर सेस लगाने पर विचार कर रही है।
अगर ऐसा हो जाता है तो हर ऑनलाइन पेमेंट पर ‘सिक्यॉरिटी फी’ देनी होगी जिससे डिजिटल पेमेंट महंगा पड़ेगा। जानकारी के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ मिलकर ऐसे प्रपोजल को तैयार कर रहे हैं।
ऑनलाइन पेमेंट्स पर सिक्यॉरिटी फी या सेस स्वच्छ भारत सेस जैसा ही होगा जिसका उपयोग डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए होगा। ऐनालिस्ट्स का मानना है कि देश डिजिटल पेमेंट्स सिक्यॉरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए डिजिटल सेस लगा फंड तैयार करना सही तरीका नहीं है।
अभी भी यूजर्स डिजिटल ट्रांजैक्शंस पर कई तरह के चार्जेस देते हैं। कन्वीनियेंस फी, ट्रांजैक्शंस चार्जेस, प्लास्टिक कार्ड की कीमत, सालाना जॉइंनिंग फी और मर्चेंट फीस ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर लगाई जाती है।
डिजिटल पेमेंट कंपनियां भी ऑनलाइन लेन-देन को सुरक्षित बनाने के लिए काफी पैसा खर्च कर रहे हैं। मॉर्गन स्टैनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का ई-कॉमर्स मार्केट 2026 तक 30 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। नैस्कॉम इंटरनेट काउंसिल के हेड ने बताया कि समस्या यह नहीं है कि इंटरनेट सुरक्षा के मामलों से निपटने के लिए पैसा नहीं है।