नई दिल्ली। देश में सरकारी एजेंसियों के पास गेहूं और चावल का स्टॉक लगातार घट रहा है। बीते एक अक्टूबर को यह गिर कर पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है। गेहूं का स्टॉक तो बफर स्टॉक के न्यूनतम स्तर से थोड़ा ही ज्यादा है। इससे उलट महंगाई के तो आंकड़े कुछ ज्यादा ही डरा रहे हैं। बीते सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7.41 फीसदी तक चढ़ गई है जो कि पांच महीने का उच्चतम स्तर है।
भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ो में बताया गया है कि एफसीआई जैसी एजेंसियों के पास गेहूं और चावल का स्टॉक तेजी से घट रहा है। बीते एक अक्टूबर को सरकारी स्वामित्व वाले गोदामों में गेहूं और चावल का स्टॉक 511.36 लाख टन रह गया था। इससे पहले अक्टूबर 2017 में स्टॉक घट कर 433.36 लाख टन पर आया था। एक साल पहले ही अपने यहां गेहूं और चावल का स्टॉक 816 लाख टन का था।
बीते साल गेहूं का स्टॉक तेजी से घटा है। एक साल पहले एक अक्टूबर को इन एजेंसियों के पास गेहूं का स्टॉक 468.52 लाख टन का था। वह बीते एक अक्टूबर को 227.46 लाख टन तक घट गया। यह बीते छह साल का निचला स्तर है। इसी तारीख को गेहूं का न्यूनतम बफर स्टॉक 205.2 लाख टन होना चाहिए। मतलब कि इस समय देश में गेहूं का स्टॉक बफर स्टॉक के लेवल से कुछ ही ज्यादा है।
यूं तो बेमौसम की बारिश से धान की फसल भी खराब हुई है। लेकिन इसमें फिलहाल चिंता की बात नहीं है। बीते एक अक्टूबर को सरकारी एजेंसियों के पास चावल का स्टॉक 283.9 लाख टन था। सरकार के नियमों के मुताबिक इस तारीख को जरूरी बफर स्टॉक 102.5 लाख टन होना चाहिए। मतलब कि अभी देश में चावल का भंडार न्यूनतम बफर का 2.8 गुना है।
बीते सितंबर में अनाज के लिए खुदरा महंगाई की दर 11.53 फीसदी बढ़ी। यह इस श्रेणी में अब तक की सबसे ज्यादा की बढ़ोतरी है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने घरेलू बाजार में इन चीजों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए इस साल कई खाद्यान्नों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बीते मई ही भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि बीते साल गेहूं की उपज में कमी की खबर आई थी। इससे पहले ही घरेलू बाजार में इसकी कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। गेहू के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण गेहूं के आटे का निर्यात बढ़ा। इसके निर्यात में एक साल पहले अप्रैल और जुलाई के बीच 200% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
अगस्त में लगा आटा, मैदा, सूजी पर प्रतिबंध
बीते अगस्त में केंद्र सरकार ने गेहूं का आटा, मैदा, सूजी आदि के निर्यात को प्रतिबंध लगा दिया। इसका एक ही उद्देश्य था कि घरेलू बाजार में इन चीजों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाया जा सके। इसके बाद सरकार ने सितंबर में टूटे चावलों के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ ही विभिन्न किस्मों के चावल के निर्यात पर भी 20 फीसदी की ड्यूटी लगा दी थी।