Manmohan Singh Funeral: नई दिल्ली। आर्थिक सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका यहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। सिंह की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कई अन्य हस्तियों ने सिंह को अंतिम विदाई दी।
इससे पहले, कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा निकली। इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा’ और ‘मनमोहन सिंह अमर रहें’ के नारे लगाते रहे। सिंह का पार्थिव शरीर जिस वाहन में रखा गया, उसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, सिंह के परिवार के कुछ सदस्य और कांग्रेस के कुछ नेता भी बैठे थे। अंतिम यात्रा से पहले सिंह का पार्थिव शरीर कांग्रेस मुख्यालय ‘24 अकबर रोड’ में रखा गया था जहां सोनिया गांधी, खरगे, राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
गौरतलब है कि डॉ. सिंह का 92 साल की उम्र में 26 दिसंबर रात करीब 9 बजे दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। डॉ. सिंह के निधन के बाद उनका स्मारक बनाने को लेकर कांग्रेस तथा भाजपा के बीच जमकर सियासत हो रही है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रस्ट बनाकर डॉ. सिंह का समाधि स्थल बनाया जाएगा।
डॉ. सिंह 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने देश में उदारवादी आर्थिक सुधार लागू किया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नहीं ऊंचाई मिली। साल 1954 में पंजाब विवि से अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद कैम्ब्रिज से प्रथम श्रेणी से अर्थशास्त्र (ऑनर्स) कर उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड से डीफिल किया।
मनमोहन सिंह 1971 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार, 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे और 1980 से 82 तक योजना आयोग के सदस्य बने। डॉ. सिंह 1982-1985 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे और साल 1985 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने। फिर वह 1990 में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में भी प्रोफेसर रहे।