नई दिल्ली। Current account deficit: भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में मामूली रूप से कम होकर 11.2 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 प्रतिशत रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को इससे जुड़े आंकड़े जारी किए।
देश का चालू खाता घाटा विदेशी व्यापार में निर्यात और आयात के बीच का होता है। इसमें विदेशी व्यापार, विदेशी निवेश, और अन्य विदेशी लेन-देन शामिल होते हैं। 2023-24 की दूसरी तिमाही के दौरान यह 11.3 अरब अमेरिकी डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का 1.3 प्रतिशत था।
विज्ञापन
आरबीआई ने कहा, “भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2024-25 की दूसरी तिमाही में मामूली रूप से घटकर 11.2 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) हो गया, जो 2023-24 की दूसरी तिमाही में 11.3 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) था।”
अप्रैल-सितंबर 2024 (वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली छमाही) के दौरान, चालू खाता घाटा 21.4 बिलियन अमरीकी डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत था, जबकि एक वर्ष पहले की अवधि में यह 20.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) था।
भुगतान संतुलन पर आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, व्यापारिक घाटा 2024-25 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 75.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2023-24 में इस अवधि में 64.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
सेवा क्षेत्र की शुद्ध प्राप्तियां 2024-25 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 44.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गईं, जो एक वर्ष पहले 39.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। कंप्यूटर सेवाओं, व्यवसाय सेवाओं, यात्रा सेवाओं और परिवहन सेवाओं जैसी प्रमुख श्रेणियों में सेवा निर्यात में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर वृद्धि हुई है।
इसके अलावा, निजी हस्तांतरण प्राप्तियां, जो मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों की ओर से भेजी गई धनराशि होती है, 2024-25 में जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 31.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई। यह 2023-24 की दूसरी तिमाही में 28.1 बिलियन अमरीकी डॉलर थी।
वित्तीय विवरण में, आरबीआई ने कहा कि शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की बात करें तो 2024-25 की दूसरी तिमाही में 2.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की निकासी की गई। जबकि 2023-24 की इसी अवधि में 0.8 बिलियन अमरीकी की निकासी की गई थी।