नई दिल्ली। महंगाई का डर रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) को भी है। जून माह में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में महंगाई को लेकर जिस तरह की चिंताएं समिति के सारे सदस्यों ने एक सुर में जताई है उससे यह भी संकेत साफ है कि रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला अभी जारी रहने वाला है। मई और जून, 2022 में आरबीआई ने रेपो रेट (ब्याज दरों को तय करने वाला प्रमुख वैधानिक दर) में कुल 0.90 फीसद की वृद्धि की है। लेकिन महंगाई का खतरा कम नहीं हुआ है।
आरबीआई के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास के शब्दों में, ‘महंगााई अभी भी एक बड़ी चिंता बनी हुई है, आर्थिक गतिविधियों में सुधार तेजी से हो रहा है लेकिन अब इसमें खिंचाव आ रहा है।’ समिति के एक दूसरे सदस्य व आरबीआई के डिप्टी गवर्नर डा. माइकल पात्रा का कहना है कि अगर महंगाई हाथ से बाहर निकलती है तो आर्थिक रिकवरी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। उन्होंने चार कारण बताये हैं कि क्यों छह फीसद से ज्यादा महंगाई की दर को भारत के लिए खतरनाक है।
- आर्थिक विकास दर की रफ्तार को तेज करने की कोशिशों के लिए घातक है।
- कंपनियों के लिए निवेश संबंधी फैसला करना मुश्किल होगा क्योंकि उत्पादों की कीमतों को लेकर अनिश्चितता होती है।
- बैंक जमा को लेकर अनिश्चितता बढ़ती है और लोग सोना आदि में निवेश शुरु कर सकते हैं। भारत पहले ही दुनिया में सोना का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है।
- रुपया कमजोर होता है जिससे आयात महंगा हो जाता है और इसका असर महंगाई पर दोबारा से होता है। ऐसे में आरबीआई की कोशिश महंगाई को उसके निर्धारित बैंड (चार से छह फीसद) के बीच रखने की हर कोशिश होनी चाहिए ताकि वर्ष 2022-23 और वर्ष 2023-24 में आर्थिक विकास दर 6-7 फीसद के बीच बनी रहे।
बताते चलें कि मई, 2022 में भारत में खुदरा महंगाई की दर 7.04 फीसद रही है। पिछले पांच महीनों से महंगाई दर लगातार आरबीआई की तरफ से तय लक्ष्य से ज्यादा बनी हुई है। आगे रेपो रेट में और वृद्धि संकेत आरबीआइ गवर्नर के इस बयान से मिलता है कि अभी इसकी दर महामारी शुरु होने से पहले के स्तर पर नहीं पहुंची हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि ब्याज दरों में वृद्धि इस तरह से की जाएगी कि विकास की रफ्तार पर बहुत असर नहीं पड़े। पिछली बैठक में उन्होंने भी रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि करने की हिमायत की थी।
समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में 0.50 फीसद की वृद्धि करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। समिति के एक अन्य सदस्य डॉ. राजीव रंजन ने महंगाई से लड़ाई में केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को भी योगदान देने की बात कही है और इनसे अपने वित्तीय प्रबंधन को भी बेहतर करने का आग्रह किया है। केंद्र व राज्य सरकारें ज्यादा उधारी लेंगे या ज्यादा खर्च करेंगे तो उससे भी महंगाई को हवा मिलती है।