जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सरकारी बंगला बचा लिया है। राजे को अब जयपुर के सिविल लाइन में स्थित बंगला नम्बर 13 को खाली नहीं करना पड़ेगा। पूर्व में हाईकोर्ट ने बंगला आवंटन प्रक्रिया को गलत माना था। लेकिन गहलोत सरकार की ओर से हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र पेश किया गया। यह शपथ पत्र पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए कारगर साबित हुआ।
शपथ पत्र में लिखा गया कि वसुधरा राजे को सीनियर विधायक होने के नाते बंगला नम्बर 13 आवंटित किया गया है। आवंटन प्रक्रिया में कोई गलती नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस शपथ पत्र को स्वीकार करते हुए वसुंधरा राजे को बड़ी राहत दे दी। उल्लेखनीय है कि हनुमान बेनीवाल सहित कई राजनेता बार- बार यह आरोप लगाते हैं कि वसुंधरा राजे- अशोक गहलोत भले ही अलग- अलग पार्टियों से है, लेकिन अदरूनी तौर पर दोनों के बीच सत्ता को लेकर गढ़जोड़ है। सचिन पायलट की बगावत और सियासी संकट के दौरान भी यह चर्चा थी कि वसुंधरा राजे ने ही गहलोत की सरकार को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में लगातार 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्यमंत्रियों को विशेष सुविधाएं देने का प्रोविजन लाया गया था। इस प्रोविजन के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आलीशान बंगला, गाड़ी और नौकर -चाकर देने सहित कई सुविधाएं शामिल थी। इस प्रोविजन को चैलेंज किया गया।
हाईकोर्ट में याचिका गई थी पेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोविजन को खारिज कर दिया तो इसी को आधार बताते हुए मिलापचंद डांडिया की ओर से हाईकोर्ट में याचिका पेश कर दी गई। याचिका में कहा गया कि वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सिविल लाइन में आलीशान बंगला नम्बर 13 आवंटित किया गया है जो कि गलत है। राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इस आवंटन को गलत मान लिया था।
मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस
सुप्रीम कोर्ट की ओर से विशेष सुविधाएं देने का प्रोविजन खारिज करने के बाद याचिकाकर्ता के वकील विमल चौधरी ने हाईकोर्ट में अपना तर्क रखा था। उन्होंने कहा कि प्रोविजन खारिज होने के बाद भी वसुंधरा राजे से बंगला खाली नहीं कराया गया, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया से बंगला खाली करवा लिया गया है। ऐसे में जुलाई 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया कि जो नौकर -चाकर रखे गए हैं उनके वेतन की वसूली की जाए।
सीनियर विधायक होने की वजह से आवंटित किया बंगला
इसके बाद में सरकार की ओर से दलील पेश की गई कि वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते नहीं ,बल्कि सीनियर विधायक होने के नाते बंगला नम्बर 13 आवंटित किया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस से मुक्त कर दिया और राजे को आवंटित बंगले को सही मान लिया। बंगले के खिलाफ लगी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।