नई दिल्ली। भारत में धड़ल्ले से 5G स्मार्टफोन की बिक्री हो रही है। आलम यह है कि 5G स्मार्टफोन बिक्री में रोजाना की दर से इजाफा दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में वाजिब है कि भारत में एक बड़ी आबादी 5G स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन सरकार भारत में बिकने वाले 5G स्मार्टफोन के इस्तेमाल के लिए टेस्टिंग के बाद सर्टिफिकेट जारी करने पर प्लान कर रही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या टेस्टिंग में फेल रहने वाले 5G स्मार्टफोन हमेशा के लिए कबाड़ हो सकते हैं। इस मामले में फिलहाल कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है। हालांकि ऐसा हो सकता है कि सरकार 5G स्मार्टफोन की ग्रेडिंग कर सकती है। ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की तरफ से हाल ही में देश में बिकने वाली सभी 5G डिवाइस की लोकल टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन करने का ऐलान किया गया है। दूर संचार विभाग की विंग टेलिकॉम इंजीनियरिंग सेंटर (TEC) की इंटरनल मीटिंग में 5G डिवाइस की अनिवार्ट टेस्टिंग और सर्टिफिकशन ऑफ टेलिकॉम इंक्विपमेंट (MTCTE) करने की योजना बना रही है। इस योजना के तहत 5G इनेबल्ड स्मार्टफोन, स्मार्ट वॉच, वियरेबल स्मार्ट कैमरा की टेस्टिंग और सर्टिफिकेसन के बाद बिक्री की जा सकेगी। सभी 5G डिवाइस की टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2023 से शुरू हो सकती है।
टेलिकॉम कंपनियों और ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर्स (OEMs) ने दूरसंचार विभाग और केंद्र सरकार से लोकल टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन ना करने की मांग की है। क्योंकि किसी भी 5G डिवाइस पर लॉन्च करने से पहले मिनिस्ट्री ऑफ आईटी एंड इलेक्ट्रानिक्स (MeitY) और ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्रियल स्टैंडर्ड (BIS) से मंजूरी लेनी होती है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट मैन्युफैक्चर्स को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होता है। साथ ही भारतीय सेफ्टी स्टैंडर्ड का पालन करना होता है। ऐसे में अलग से टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की वजह से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की लॉन्चिंग में देरी होने की संभावना है।