कोटा। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के फिजिक्स के प्रश्न पत्र के एक प्रश्न पर सवालिया निशान लगाते हुए सोमवार को नीट परीक्षार्थियों ने कोटा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कैंप कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी नीति परीक्षार्थियों का कहना है कि हिंदी भाषी होने के चलते उनके साथ नीट परीक्षा में अन्याय हुआ है। वे लोग आंदोलन करते हुए प्रश्न पत्र के एक सवाल पर केंद्र सरकार से न्याय की मांग कर रहे हैं। आंदोलनकारी नीट परीक्षार्थियों के मुताबिक उक्त मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका। परीक्षार्थी और उनके अभिभावक नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के रवैये से नाखुश हैं, जिसको लेकर उन्होंने कोटा में आंदोलन का आगाज कर दिया।
फिजिक्स के सवाल पर आपत्ति
इस संबंध में आंदोलन कर रहे अभ्यार्थियों का नेतत्व कर रहे अजीत सिंह बांठिया ने कहा कि नीट-यूजी-2021 में भौतिक विज्ञान के प्रश्नपत्र में सेक्शन ए के टेस्ट बुकलेट कोड पी-2 में हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में प्रश्न अलग-अलग थे। इस प्रश्न का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद गलत किया गया। इसकी शिकायत हिन्दी माध्यम वाले हजारों परीक्षार्थियों ने एनटीए को की थी, किन्तु एनटीए ने अपनी गलती मानने से मना कर दिया। फलस्वरूप परीक्षार्थियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। याचिका को न्यायालय ने सुनवाई योग्य माना और सुना भी। न्यायाधीश वीवाय. चन्द्रचूड़, सूर्य कान्त, विक्रम नाथ की बेंच ने एनटीए को तीन विशेषज्ञों का पैनल बनाकर तथ्य रखने का निर्णय दिया।
एनटीए के अधिकारियों को बताया भ्रष्ट
यहीं से एनटीए के अधिकारियों ने छात्रों के साथ धोखा करने व भ्रष्ट आचरण की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्होंने तीन विशेषज्ञों का पैनल बनाया। लेकिन ये पैनल किसी से भी प्रभावित नहीं था या छात्रहित में निर्णय देने के लिए गंभीरता से मंथन करने को तैयार था। इस बारे में स्पष्ट नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस पैनल ने एनटीए को सिफारिश दी कि प्रश्न में ‘एम्प्टीट्यूड ऑफ करंट’ का अनुवाद ‘धारा’ होता है और एनटीए ने कोई गलती नहीं की है, जबकि हिन्दी भाषा वाला प्रश्न और अंग्रेजी भाषा वाला प्रश्न अलग-अलग रूप से सही हैं।
हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में प्रश्न बिल्कुल अलग
उनका कहना है कि हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में प्रश्न एकदम भिन्न हैं। क्योंकि अंग्रेजी में परिपथ में प्रवाहित धारा का आयाम लिखा है। जबकि हिन्दी में परिपथ में प्रवाहित धारा ही लिखा है, जिससे भौतिक शास्त्र में प्राचीनकाल से चल रही परिपाटी के अनुसार धारा का वर्ग माध्य मूल मान माना जाएगा, जिससे हिन्दी में प्रश्न ही भिन्न हो जाता है व प्रश्न में कोई त्रुटि भी नहीं है तो फिर परीक्षार्थी उसके अनुसार ही हल करेगा। एनटीए के एक्सपर्ट पैनल द्वारा दी गई सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया गया और वहां से छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया गया।
फ्रीडम बने पैनल, फिर हो जांच
बांठिया ने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध है कि इस प्रश्न की राजकीय कॉलेजों, केन्द्रीय विद्यालयों या देश के अन्य संस्थानों के विषय विशेषज्ञों से अध्ययन या जांच करवाएं। मेरी मांग है कि 50 भौतिक शास्त्र के शिक्षकों (जो हिन्दी माध्यम में पढ़ाते हो) का पैनल बनवाकर निर्णय करवाया जाये। मेरा स्पष्ट एवं निर्भीक मत है कि यह पैनल भी मेरे कथन की सत्यता प्रमाणित करेगा। साथ ही हिन्दी माध्यम में परीक्षा दे चुके परीक्षार्थियों को उचित न्याय दिलवाएगा। इस प्रश्न में अनुवाद की त्रुटि नहीं है, एनटीए ने प्रश्न का मूलस्वरूप ही पूर्णतया परिवर्तित कर हिन्दी में प्रश्न ही बदल दिया है, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दी भाषा एवं अंग्रेजी भाषा में उत्तर भी अलग-अलग आ रहे हैं।
ट्विटर पर अभियान
इसी क्रम में कोटा के सैकड़ों स्टूडेंट्स ने ट्विटर पर भी अभियान चलाया था। जिसमें कोटा की फैकल्टी ने भी उनका सहयोग किया। इसके तहत हजारों की संख्या में ट्वीट इन स्टूडेंट्स ने किए थे। फैकल्टी मेंबर्स का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने 30 नवंबर को इस संबंध में फैसला सुना दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है वह नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के नामित किए गए तीन एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दिया