नयी दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा शून्य बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने सहित विभिन्न कृषि संबंधी मुद्दों पर विचार के लिए ‘जल्द निकट भविष्य में’ एक समिति का गठन किया जायेगा। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अग्रवाल ने यहां मीडिया से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इसकी घोषणा की है। इसे और शून्य बजट प्राकृतिक खेती को अभियान के रूप में लिया जायेगा। बहुत जल्द निकट भविष्य में इसका (समिति) गठन किया जाएगा।’’
अग्रवाल 14 दिसंबर से आणंद, गुजरात में होने वाले प्राकृतिक खेती पर केंद्रित तीन दिन के राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में जानकारी दे रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को वर्चुअल तरीके से इसके समापन समारोह को संबोधित करेंगे। संवाददाता सम्मेलन में गुजरात के मुख्य सचिव पंकज कुमार भी वर्चुअल माध्यम से मौजूद थे।
यह पूछे जाने पर कि जल्द गठित होने वाली प्रस्तावित समिति द्वारा प्राकृतिक खेती के कौन से पहलू की चर्चा की जाएगी और क्या इस राष्ट्रीय आयोजन के परिणामों पर भी विचार होगा, सचिव ने कहा कि इस पैनल की रूपरेखा अभी तय नहीं की गई है।
मोदी ने 19 नवंबर को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए यह भी कहा था कि सरकार एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के साथ-साथ शून्य बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के तरीकों पर सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन करेगी।
हजारों किसानों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने इन तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक लगातार विरोध-प्रदर्शन किया था।
संसद में 29 नवंबर को इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन गतिरोध बना रहा क्योंकि किसानों ने अपनी अन्य मांगों जैसे एमएसपी पर कानूनी गारंटी, आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजे और उनके खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने जैसी अन्य मांगों पर सरकार से आश्वासन मांगा।
सरकार द्वारा उनकी शेष मांगों को पूरा करने का वादा किए जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर को अपना आंदोलन स्थगित करने और अपने घरों को लौटने पर सहमत हुए।