कोटा में एक करोड़ की लागत से बनेगा मदर मिल्क बैंक

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कोटा। संभाग के सबसे बड़े मातृ एंव शिशु अस्पताल जेके लोन अस्पताल में मदर मिल्क बैंक की स्थापना का काम शुरू हो गया है। 5 साल से मदर मिल्क बैंक की स्थापना का काम ठंडे बस्ते में था। हॉस्पिटल के पीछे वाले हिस्से में बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। करीब 70 लाख की लागत से बिल्डिंग तैयार होगी। इसमें करीब 30 लाख रुपए से ज्यादा के संसाधन मंगवाए जाएंगे। संसाधनों के टेंडर भी हो चुके है। अगले साल फरवरी तक काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

विशेषज्ञों की माने तो कुल मौतों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों की मौतें जन्म के एक माह के अन्दर हो जाती है। ये मौत निमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियों से होती हैं। जिसे मां के दूध से आसानी से बचाया जा सकता है। शिशु के जन्म से लेकर छह माह तक स्तनपान कराने से शिशु मृत्यु दर काफी हद तक कम किया जा सकता है। मां के दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो बच्चे के लिए जरूरी होते हैं। जिन मां का अपने बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं निकलता है, जो बच्चे बीमार हैं या फिर जिन्हें दूध नहीं मिलता है उनके लिए मदर बैंक कारगर साबित होता है।

कई ऐसे नवजात हैं,जो मां के दूध के अभाव में दम तोड़ देते हैं। कई बच्चों को पैदा होने के एक घंटे के अंदर मां का दूध नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मदर मिल्क बैंक काफी सहायक होता है। कोटा संभाग के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु अस्पताल जेके लोन में मदर मिल्क बैंक की दरकरार थीं। अस्पताल में बूंदी, बारां, झालावाड़ सहित पड़ोसी राज्य एमपी से केस रेफर होकर आते है। यहां रोज 30 से 40 प्रसव होते है।

जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर एचएल मीणा ने बताया कि जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए मदर मिल्क बैंक किसी वरदान से कम नहीं होगा। इससे दूध से वंचित शिशुओं को मां का दूध मुहैया हो सकेगा। मिल्क बैंक में दूध उन माताओं से लिया जाएगा, जिनके बच्चे नहीं बचते या फिर जिन्हें जरूरत से ज्यादा दूध आता है।