कोटा। बदलती जीवन शेली, कोविड-19 (Covid-19) वैश्विक महामारी के दौरान जारी ऑनलाइन क्लासेज, कम्प्यूटर स्मार्ट फोन के लम्बे उपयोग के कारण बच्चों की आंखों की मायोपिया नामक दृष्टि दोष की बीमारी बहुत तेजी से बढ रही है। मायोपिया माता- पिता में से एक को हो तो उनके बच्चों में होने की संभावना अधिक हो जाती है।
यदि दोनों माता पिता में मायोपिया हो तो बच्चों में मायोपिया होने की संभावना बहुत अधिक होती है। सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा की नेत्र सर्जन विदुषी पाण्डेय ने बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान दो गज की दूरी में सिमटा जा रहा जीवन, आउटडोर खेलकूद/एक्टिविटीज का अभाव, बहुत अधिक समय तक लगातार पास का काम करना जैसेः पढना, ऑनलाइन क्लासेज के चलते स्मार्टफोन का लम्बे समय तक उपयोग करना, लम्बे समय तक विडियोगेम खेलना, अधिक समय तक टेलीविजन देखना आदि मायोपिया नामक दृष्टि दोष को बढ़ाते हैं।
मायोपिया के खतरे कौन कौन से है?
मायोपिया से पीडित व्यक्ति को बिना चश्मा लगाए स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। चश्में का माइनस नम्बर लगातार बढ़ता जाता है। मायोपिया से पीड़ित लोगों को पर्दे का विलगाव (रेटिनल डिटेचमेंट), मैकुलर डिजनरेशन, मोतियाबिन्द और कालापानी होने की संभावना अधिक होती है।
क्या है उपचारः मायोपिया नामक दृष्टि दोष के उपचार के लिए चश्में का माइनस नम्बर लगाना आवश्यक होता है। चश्में की जांच, एवम् आंखों की विस्तृत जांच हर छह माह में नेत्र विशेषज्ञ से कराते रहें। चश्में के अलावा कोन्टेक्ट लेंस, लेसिक लेजर रिफरेक्टिव सर्जरी, फेकिक लेंस प्रत्यारोपण आदि के माध्यम से भी मयोपिया का उपचार किया जा सकता है।
कैसे रोका जा सकता है बच्चों में मायोपिया ?
अमेरिका एवं सिंगापुर में किए गए रिसर्च के अनुसार लो-डोज एट्रोपिन (0.01 प्रतिशत) आईड्राॅप के उपयोग से छोटे बच्चों में मायोपिया के प्रोग्रेशन को रोकने में सहायता मिली है । बच्चों में मायोपिया को रोकने के लिए लो-डोज एट्रोपिन (0.01 प्रतिशत) आईड्राॅप का उपयोग अब भारत समेत विश्व भर के नेत्र विशेषज्ञों द्वारा किया जाने लगा है। सुवि नेत्र चिकित्सालय कोटा के नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि लो-डोज एट्रोपिन (0.01 प्रतिशत) आईड्राॅप के उपयोग से आखों के सीलियरी मसल्स नामक महीन मांस पेशियां रिलेक्स (शिथिल) होती है जिसके कारण आंखों की अंदरूनी लम्बाई कम बढती है। जिससे मायोपिया बढने की संभावना कम हो जाती है। एक मिलीमीटर आखों की अंदरूनी लम्बाई बढने से 3 नंबर (डायोप्टर) तक का मायोपिया हो सकता है।
- मायोपिया की रोकथाम कैसे करें ? क्या क्या रखें सावधानी
- बच्चों को स्मार्ट फोन, कम्प्यूटर, टीवी की लत न लगें इसका विशेष ध्यान रखें।
- माता पिता आउटडोर एक्टिविटीज के लिए समय निकालें एवम् बच्चो को खेलकूद आदि के लिए प्रोत्साहित करें। यदि पार्क में घूमना संभव नहीं हो तो छत पर घूम सकतें हैं एवम् छत पर खड़े होकर दूर देखने का अभ्यास हर दिन करें। रोज 15 मिनट से आधा घंटा सूर्य के प्रकाश ( नेचुरल सनलाईट) में बिताएं।
- हरी सब्जी, गाजर, विटामिन युक्त फलों का सेवन करें। पौष्टिक आहार का सेवन करें एवम् जंक फ़ूड से यथा संभव बचें।
- हर वर्ष में दो बार आंखों की एवं पर्दे की नियमित जांच करवाएं।
- आंखों को नहीं मसलें। लंबे समय तक लगातार आंखें मसलते रहने से केरेटोकोनस नामक नेत्र रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आपको मायोपिया नामक दृष्टि दोष है, यदि आपका लेसिक लेज़र नेत्र ऑपरेशन भी हो चुका है तब भी हर वर्ष में दो बार दवा डालकर पर्दे (रेटिना) की जांच करवाएं ।