बारिश की कमी से गुजरात एवं राजस्थान में जीरा की पैदावार घटने की आशंका

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राजकोट। जीरा एक शीतकालीन मसाला फसल है जिसकी खेती मुख्यत: राजस्थान के शुष्क क्षेत्र एवं गुजरात के कई भागों में रबी सीजन के दौरान होती है। सामान्यत: अक्टूबर से इसकी बिजाई शुरू हो जाती है और मार्च-अप्रैल में फसल कटने लगती है। मानसून सीजन के दौरान सितम्बर तक यदि अच्छी वर्षा होती है तो अक्टूबर में खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद रहता है और इससे जीरे की बिजाई में काफी आसानी होती है।

लेकिन इस बार परिदृश्य अच्छा नहीं है। गुजरात में वर्षा की कमी 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है जबकि पश्चिमी राजस्थान में भी 20-25 प्रतिशत कम बारिश हुई है। सितम्बर मानसून सीजन का अंतिम महीना होता है। लेकिन इसी माह के दौरान देश से मानसून प्रस्थान भी करता है। इसकी शुरुआत पश्चिमी राजस्थान से ही होती है। यदि वहां बारिश का अभाव रहा तो जीरे की बिजाई में गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।

साउथ एशिया बायो टेक्नोलॉजी सेंटर के डायरेक्टर का कहना है कि राजस्थान के पश्चिमी जिलों में सूखे की स्थिति बनती जा रही है। जैसलमेर एवं बाड़मेर सहित पांच जिलों में 35 से 40 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। घरेलू बाजार में जीरा का भाव तेजी से बढ़ता जा रहा है जिससे किसानों को इसकी बिजाई बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है।

ज्ञात हो कि चालू वर्ष के आरंभिक समय में जीरा का दाम घटकर 12,000 रुपए प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर आ गया था जिससे इस बात की आशंका बढ़ गई थी कि किसान इसके बजाए अन्य फसलों की खेती की तरफ आकर्षित हो सकते हैं मगर अब बाजार की परिस्थितियां जीरा की बिजाई बढ़ाने के लिए अनुकूल होती जा रही है। यदि सितम्बर में अच्छी बारिश हुई तो जीरा के क्षेत्रफल में वृद्धि हो सकती है अन्यथा किसानों को इसकी खेती करने में भारी कठिनाई का फायदा करना पड़ सकता है