नई दिल्ली। सब्जियों की कीमतें पिछले एक हफ्ते में दोगुना बढ़ चुकी हैं। लोगों की थाली से टमाटर, प्याज आलू समेत अन्य हरी सब्जियां गायब हो रही हैं। यूं तो हर साल बरसात में हरी सब्जी महंगी होती है। लेकिन आलू, टमाटर और प्याज की कीमत इस बार बढ़ने से लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
एक ओर तो कोरोना काल में वैसे ही लोगों की आमदनी घटी है, रोजगार कम हुए हैं। ऊपर से सब्जियों की बढ़ी हुई कीमत ने आम आदमी को और परेशान करके रख दिया है। लॉकडाउन और बारिश के चलते देशभर में सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। दिल्ली, मुंबई और कोलकाता समेत देशभर के सब्जी मंडियों में इस समय सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
प्याज की कीमत हुई दोगुनी
देश की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आजादपुर मंडी, दिल्ली में प्याज की कीमत थोक भाव में 40-45 रुपए पहुंच गई है। यही सप्ताह भर पहले 15-20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल रही थी। आजादपुर मंडी के चेयरमैन आदिल अहमद खान ने बताया कि दो सप्ताह तक सिर्फ टमाटर और बाकी हरी सब्जियों के रेट में बढ़ोतरी देखी जा रही थी, लेकिन इस समय प्याज के भाव बढ़ गए हैं। दिल्ली समेत आसपास के कई शहरों में रिटेल में इस समय प्याज 60 से 80 रुपए किलो के भाव पर बिक रहा है।
प्याज के दाम बढ़ने की वजह
आजादपुर मंडी के कारोबारी राजीव कुमार ने बताया कि प्याज की कीमतों में तेजी के पीछे फसल का खराब होना है। दरअसल, कर्नाटक, आंध्र, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से इस समय खरीफ के प्याज की उपज बाजार में आती है। लेकिन, इन सभी राज्यों में भारी बारिश के चलते 50 फीसदी फसल खराब हो गई। साथ ही भारी बारिश ने महाराष्ट्र में प्याज के पुराने स्टाक की क्वॉलिटी पर भी असर डाला है। इसके इनकी कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है।
हर साल रुलाती है प्याज की कीमत
बता दें कि रबी और खरीफ दोनों में प्याज को बोया जाता है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक में ये फसल मई और नवंबर तक तैयार हो जाती हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, आंध्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बंगाल में ये फसल इसके आगे-पीछे तैयार होती है। हर साल प्याज की कीमतें बढ़ने से रोकने के उपाय किए जाते हैं। प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया जाता है, प्याज के स्टॉक पर रोक लग जाती है। सरकारी एजेंसियां सस्ते दामों पर प्याज की बिक्री शुरू कर देती हैं। बावजूद प्याज आम जनता को रुलाता रहता है। हालांकि, बढते दाम को देखते हुए सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है। अब कीमतों में नरमी की उम्मीद है।
निर्यात पर प्रतिबंध अच्छा फैसला
आजादपुर मंडी पोटेटो-ओनियन मर्चेंट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा कहते हैं, निर्यात प्रतिबंध अच्छा फैसला है। इससे प्याज के दाम में वृद्धि पर विराम लगेगा। दक्षिण भारत में प्याज की फसल खराब होने से आपूर्ति में कमी का संकट बना हुआ है, इसलिए सरकार को निर्यात पर प्रतिबंध के साथ-साथ आयात करने पर भी विचार करना चाहिए।
टमाटर भी तीन गुना महंगा
टमाटर की रेट की बात की जाय तो दिल्ली के आजादपुर मंडी से लेकर गाजीपुर मंडी में इस समय टमाटर 80 रुपए के पार पहुंच गया है। मुंबई की सब्जी मंडियों में टमाटर 80 से 100 रुपए प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है। वहीं कोलकाता में टमाटर का भाव 100 रुपए के पार हो गया है। इतना ही इन शहरों में सभी हरी सब्जियों के भाव बढ़ गए हैं। इसी तरह इस समय आलू थोक में 26 रुपए किलो तो रिटेल में 35-40 रुपए किलो मिल रहा है। पिछले सप्ताह आलू का थोक भाव 15 रुपए प्रति किलो था।
कुछ दिन पहले तक टमाटर 50 रुपए में मिल रहा था
गाजीपुर मंडी के सब्जी विक्रेता राजीव साव ने बताया कि इस समय सब्जी सोने के भाव मिल रही है। 10 दिन पहले टमाटर 50-60 रुपए किलो था लेकिन आज यह 80 रुपए हो गया है। अगर 10 दिनों में इतने रेट बढ़ेंगे तो आम आदमी सब्जी कैसे खाएगा ? उन्होंने बताया कि सब्जियों के दाम बेतहाशा तरीके से बढ़ रहे हैं। इसलिए लोग सब्जी कम खरीद रहे हैं। बता दें कि गाजीपुर मंडी में सब्जियों के डिमांड में भारी कमी देखी गई है।
एक माह में डबल हुआ हरी सब्जी का रेट
कोलकाता, दिल्ली और मुंबई की मंडियों की बात की जाय तो यहां पिछले एक माह में हरी सब्जियों के दाम डबल हो गए हैं। पिछले माह बीन्स 27 रुपए के भाव पर खरीदा गया, लेकिन इस माह बीन्स की कीमत 40 के आसपास पहुंच गई है। वहीं, मंडी में बैंगन इस समय 16 रुपए तो पिछले माह 8 रुपए किलो के भाव से बिका था। हालांकि, रिटेल में बैंगन की कीमत 25-30 रुपए के आसपास है। आज मंडी में शिमला मिर्च 36 रुपए किलो के दाम पर बेची गई है। लौकी थोक में 10 रुपए किलो तो रिटेल में 20 से 25 रुपए किलो मिल रही है। पिछले माह लौकी 5-7 रुपए किलो बिकी थी।
मंडी और मार्केट में सब्जी के दाम में अंतर क्यों?
आदिल अहमद बताते हैं कि मंडी में सब्जी सस्ती होने के बावजूद खुदरा व्यापारियों को महंगी रेट पर बेचनी पड़ती है। इसके पीछे कई वजह है। पहला तो इस समय उन्हें मंडी तक आने-जाने में कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। उसके बाद सफाई का खास ख्याल रखा जाता है। साथ ही एरिया के आधार पर सब्जियों की डिमांड को देखते हुए मनमुताबिक रेट पर बिक्री की जाती है। बता दें कि दिल्ली में क्वालिटी और इलाकों के हिसाब से टमाटर 60 से 80 रुपए किलो बिक रहा है।