जुलाई में निर्यात 2.25 फीसद बढ़ा, व्यापार घाटा 4 माह के निचले स्तर पर

0
705

नयी दिल्ली। देश का निर्यात जुलाई महीने में 2.25 प्रतिशत बढ़कर 26.33 अरब डॉलर रहा जबकि व्यापार घाटा कम होकर 13.43 अरब डॉलर पर आ गया। यह चार महीने का न्यूनतम स्तर है। सरकार ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकारी आंकड़े के अनुसार पिछले साल जुलाई महीने में निर्यात 25.75 अरब डॉलर था।

तेल और सोना समेत आयात में गिरावट के कारण व्यापार घाटा कम हुआ है। व्यापार घाटा आयात और निर्यात का अंतर है। आलोच्य महीने में आयात 10.43 प्रतिशत घटकर 39.76 अरब डॉलर पर आ गया। इससे व्यापार घाटा कम होकर 13.43 अरब डॉलर पर आ गया। व्यापार घाटा जुलाई 2018 में 18.63 अरब डॉलर रहा। मार्च 2019 में व्यापार घाटा 10.89 अरब डॉलर था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट में कहा, सरकार की व्यापार नीतियों और समर्थन के परिणामस्वरूप भारत का व्यापार घाटा जुलाई 2019 में 28 प्रतिशत गिर गया। वहीं, इस दौरान निर्यात बढ़कर 26.33 अरब अरब डॉलर पर पहुंच गया। सोने का आयात जुलाई महीने में 42.2 प्रतिशत घटकर 1.71 अरब डॉलर रहा।

वहीं तेल आयात 22.15 प्रतिशत घटकर 9.6 अरब डॉलर तथा गैर – तेल आयात 5.92 प्रतिशत कम होकर 30.16 अरब डॉलर रहा। पिछले महीने जिन क्षेत्रों से निर्यात में सकारात्मक वृद्धि हुई है , उसमें रसायन , लौह अयस्क , इलेक्ट्रानिक्स , समुद्री उत्पाद और औषधि शामिल हैं। हालांकि कुछ प्रमुख क्षेत्रों से निर्यात में गिरावट दर्ज की गयी।

उनमें रत्न एवं आभूषण (-6.82 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (-1.69 प्रतिशत), और पेट्रोलियम उत्पाद (-5 प्रतिशत) शामिल हैं। कुल मिलाकर इस साल अप्रैल – जुलाई में निर्यात 0.37 प्रतिशत घटकर 107.41 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 3.63 प्रतिशत घटकर 166.8 अरब डॉलर रहा। इन चार महीनों के दौरान व्यापार घाटा कम होकर 59.39 अरब डॉलर रहा जो पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में 65.27 अरब डॉलर था।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल – जुलाई के दौरान तेल आयात 44.45 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल के इसी महीने के 47.13 अरब डॉलर से कम है। आंकड़ों पर अपनी टिप्पणी में भारतीय निर्यात संगठनों के परिसंघ (फियो) ने कहा कि कमजोर वैश्विक मांग और व्यापार युद्ध के कारण उत्पन्न अनिश्चितताओं का असर स्पष्ट रूप से निर्यात में नरमी के रूप में दिख रहा है।

फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा , कर्ज की पहुंच वस्तु निर्यातकों के लिये कर्ज लागत, सभी कृषि निर्यातों के लिये ब्याज समर्थन, विदेशी सैलानियों को की जाने वाली बिक्री पर लाभ और GST की तुरंत वापसी जैसे मसलों के समाधान पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।